देहरादून :वरिष्ठ पत्रकार राज कंवर की किताब “ओएनजीसी-द अनटोल्ड स्टोरी” को आज लांच कर दिया गया।
जैसा कि किताब के बारे में एक आम धारणा उभरती है कि यह ओएनजीसी के इतिहास के बारे में है,ऐसा कतई भी नहीं है। यह बुक राज कंवर द्वारा ओएनजीसी पर लिखे कईं लेखों का किताबी रूपांतरण है।आप इसे ओएनजीसी की किस्सागोई भी कह सकते हैं।
द बुकनर्ड्स संस्था द्वारा देहरादून के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में महानिदेशक,कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने मॉडरेटर की भूमिका निभाई।
देहरादून के सीनियर जर्नलिस्ट राज कंवर ने ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग) पर लिखे अपने लेखों को इस किताब के रूप में प्रस्तुत किया है।लेखक राज कंवर का कहना है कि उन्होंने इस किताब में कई अनकहे किस्से परोसे हैं।
राज कंवर ने बताया की किस प्रकार तत्कालीन मंत्री महावीर त्यागी और केशव देव मालवीय के प्रयासों से देहरादून में 1956 में केवल 8 व्यक्तियों की टीम से ओएनजीसी की शुरुआत की गयी थी।इसकी शुरआत पश्चिमी मीडिया में कठोर आलोचनाओं के साथ हुई।एक आलोचक ने तो यहां तक कह डाला था कि यदि ओएनजीसी एक गिलास भी तेल ढूंढने में कामयाब हुई तो वो पूरा गिलास तेल का पी जायेंगें।
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महानिदेशक,कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने खुले सत्र में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि,”पब्लिसिटी की कितनी भी चकाचौंध क्यूं न हो,जब तक किसी भी बुक में मजबूत कंटेंट नही होंगें वो लम्बी नहीं टिक पायेगी।”
एक अन्य प्रश्न के जवाब में अशोक कुमार ने कहा कि,”निजी अनुभवों पर बुक राइटिंग एक दुधारी तलवार के समान है ,जिसमें आप यदि प्रथम पुरुष में लिखते हैं तो उसके ऑटोबायोग्राफी समझे जाने का भय होता है और वहीं यदि आप फर्स्ट पर्सन में नहीं लिखते हैं तो उसकी ऑथेंटिसिटी पर प्रश्न चिन्ह लगने का भय होता है। ”
लांच प्रोग्राम में ओएनजीसी के पूर्व जनरल मैनेजर अनूप कुमार कौल,अलकनंदा अशोक,आशीष गर्ग,अनुपमा आदि ने लेखक से अपने प्रश्न किये।कार्यक्रम में बुक वर्ल्ड के रणधीर अरोड़ा,द बुक नर्ड्स के को-फाउंडर रोहन राज,नेहा राज सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।