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देहरादून : डोईवाला-विश्व निंद्रा रोग दिवस (19 मार्च) के उपलक्ष्य में
हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में एक दिवसीय विशेष स्वास्थ्य परामर्श आयोजित किया गया।
विभिन्न तरह के निंद्रा रोग से पीड़ित रोगियों ने स्वास्थ्य परामर्श लिया।
हॉस्पिटल के छाती एवं श्वास रोग विभाग के चिकित्सकों की टीम ने
लोगों को इसके लक्षण व उपचार की जानकारी दी।
हिमालयन हॉस्पिटल में विभागाध्यक्ष डॉ.राखी खंडूरी ने बताया कि
आम तौर पर निंद्रा रोग से ग्रसित रोगी नींद की दवाई के आदि हो जाते हैं।
रोजाना दवाई लेने के बाद भी वह ठीक महसूस नहीं करते।
उल्टा वह उचित इलाज के अभाव में कई रोगों से घिर जाते हैं।
शिविर में 10 फीसदी निंद्रा रोग से पीड़ित
हिमालयन हॉस्पिटल की डॉ.राखी खंडूरी ने बताया कि स्वास्थ्य परामर्श शिविर
में करीब 10 फीसदी लोगों में निंद्रा रोग के लक्षण पाए गए।
ह़ॉस्पिटल में मौजूद स्लीप क्लीनिक में उनकी स्लीप स्टडी की जाएगी।
हिमालयन हॉस्पिटल में स्लीप क्लिनिक-
यहां पर अत्याधुनिक मशीनों के जरिए रोग से ग्रसित व्यक्ति की स्लीप स्टडी की जाती है।
POLYSOMANOGRAPHY (पॉलीसोमोनॉग्राफी) के जरिए रोगी की पूरी रात स्लीप स्टडी की जाती है,
जिससे उसके रोग की असल वजह व निदान को लेकर सटीक उपचार किया जाता है।
शिविर को सफल बनाने वाली टीम
डॉ.राखी खंडूरी, डॉ.वरुणा जेठानी, डॉ.सुचिता पंत, डॉ.दीपेन शर्मा,
डॉ.निशांत सक्सेना, डॉ.संकेत जोशी, डॉ.कुमार निशांत, डॉ.मानवेंद्र,
डॉ.कनुप्रिया, डॉ.सुशांत खंडूरी, डॉ.मनोज कुमार
निंद्रा रोग के लक्षण-
खर्राटे, मोटापा, दिन में ज्यादा नींद का आना, ड्राइविंद करते समय सो जाना,
सोते समय अचानक सांस रुकने के अहसास से नींद टूट जाना,
अनिंद्रा, नींद में चलना या बोलना
निंद्रा रोग से होने वाले खतरे-
हृदय संबंधी बिमारी, ब्लड प्रेशर, अचानक सोते समय दिल की धड़कन बंद होना,
ब्लड शुगर का अनियंत्रित होना, अचानक दिमाग की नस फटना, लकवा मार जाना
निंद्रा रोग से बचाव
-वजन कम करें।
-करवट लेकर सोएं।
-रोज सुबह उठकर कसरत करनी चाहिए।
-अच्छी नींद लेने के लिए कभी भी दिन में न सोएं और
सोने से कुछ देर पहले एल्कोहल या कैफीन का सेवन भूलकर भी न करें।
-रात को सोते वक्त कमरे में रोशनी कम ही रखें।
-डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें।