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हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में 4 वर्षीय बच्ची को मिला नया जीवन, गेरबोड शंट से थी पीड़ित, हृदय के दो भागों सहित वॉल्व में भी था छेद

>हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ने की नन्ही रक्षिता के जीवन की ‘रक्षा’
>कार्डियो सर्जरी विभाग ने जटिल सर्जरी के बाद 4 वर्षीय रक्षिता को दिया नया जीवन
>केदारनाथ निवासी रक्षिता गेरबोड शंट से थी पीड़ित, हृदय के दो भागों सहित वॉल्व में भी था छेद

देहरादून : हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के कार्डियो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने केदारनाथ निवासी चार वर्षीय रक्षिता के हृदय की सफल सर्जरी कर जीवन की ‘रक्षा’ की है। रक्षिता अब पूर्णरूप से स्वस्थ है और डिस्चार्ज होकर अपने घर लौट चुकी है।

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केदारनाथ निवासी 4 वर्षीय नन्ही रक्षिता जन्म से ही ह़ृदय की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। हिमालयन अस्पताल आने से पहले उपचार के लिए रक्षिता के अभिभावकों ने दूसरे कई बड़े अस्पतालों में परामर्श लिया। लेकिन, रक्षिता को कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं मिला। रक्षिता की बिमारी दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही थी।

इसके बाद परिचितों की सलाह पर हिमालयन अस्पताल के कार्डियो विभाग पहुंचे। यहां पर अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.अनुराग रावत ने रक्षिता की जरूरी स्वास्थ्य जांच करवाई। रिपोर्ट आने के बाद चिकित्सकों ने पाया कि रक्षिता के हृदय में छेद है।

हिमालयन अस्पताल की वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ.भावना सिंह को रक्षिता का केस रैफर किया गया। डॉ.भावना सिंह ने टीम का गठन कर रक्षिता की हाई रिस्क सर्जरी का फैसला लिया। सर्जरी के बाद नन्ही रक्षिता को नया जीवन मिल पाया। रक्षिता अब पूरी तरह स्वस्थ है और अपने अभिभावकों के साथ घर लौट चुकी है।

स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट के कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी ने सर्जरी में शामिल पूरी टीम को बधाई व शुभकामनाएं दी है।

सर्जरी को सफल बनाने में कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ.दीपक ओबरॉय, डॉ.आशीष कुमार सिमल्टी, डॉ.मुनीष अग्रवाल, संजय थपलियाल, प्रमोद सिंह, अजय सक्सेना, नितेश, हरीश, दिवाकर, संजय बिजल्वाण, शिवचरण, शीतल, सुनील गुप्ता, सहित समस्त सीटीवीएस व ओटी स्टाफ ने सहयोग दिया।

चार घंटे की कार्डियो हाई रिस्क सर्जरी

हिमालयन अस्पताल की वरिष्ठ कार्डियो सर्जन डॉ.भावना सिंह ने बताया कि रक्षिता के जब स्वास्थ्य जांच कराई गई तो उसमें पता चला की रक्षिता के हृदय के दो भागों के बीच के अतिरिक्त हृदय के एक वॉल्व में भी छेद था।

इस कारण फेफड़ों का प्रेशर जिसे पल्मोनरी आर्टिरी प्रेशर कहते हैं, सामान्य 30 एमएम/एचजी से काफी ज्यादा 70 एमएम/एचजी था। इस कारण रक्षिता के जीवन पर संकट बना हुआ था। हृदय का आकार जरूरत से ज्यादा फैला हुआ है। ऐसे में सर्जरी करना बेहद हाई रिस्क होता है लेकिन जीवन बचाने के लिए सर्जरी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था।

01% से भी कम बच्चों में होती है यह बीमारी

हिमालयन अस्पताल की वरिष्ठ कार्डियो सर्जन डॉ.भावना सिंह ने बताया कि रक्षिता एक साथ हृदय की दो बिमारियों से जूझ रही थी। हृदय के दो भागों में छेद होने के साथ वॉल्व में भी छेद था। मेडिकल भाषा में इसे “गारबोड शंट” कहते हैं और यह 01% से भी कम बच्चों में देखने को मिलती है।

अटल अयुष्मान के जरिये नि:शुल्क सर्जरी

हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में अटल आयुष्मान योजना के माध्यम से देशभर में सबसे ज्यादा रोगियों का उपचार किया गया है। रक्षिता का ऑपरेशन भी अटल आयुष्मान के तहत नि:शुल्क किया गया।

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