
डोईवाला के प्रेमनगर और चांदमारी क्षेत्र में इन दिनों अल्फ़ा बंदर और उसकी टीम ने अपना खौफ बना रखा है आज भी एक मामले में एक व्यक्ति इनका शिकार हो गया.
> वन विभाग पकड़ चुका डोईवाला से 500 बंदर
> “अल्फ़ा मंकी” और टीम से लोगों में फैला आतंक
> स्थानीय व्यक्ति की आँख और गर्दन पर हमला
> छत की सीढ़ियों से गिरी युवती,5 टाँके लगे
वेब मीडिया के विश्वसनीय नाम
यूके तेज से जुड़ने के लिये
वाट्सएप्प करें 8077062107
रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’
देहरादून :

आगे पढ़िये
> “मथुरा के मंकी कैचर” ने पकड़े डोईवाला से 500 मंकी
> मंकी अटैक से बचने के 3 ख़ास उपाय
> “मंकी अटैक” पर क्या करें और क्या न करें
रिपोर्ट@रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’
“आँख जाने” और “गले की नस कटने” का था खतरा
उत्तराखंड सचिवालय से रिटायर रमेश चंद्र आज प्रेमनगर में अपने घर पर थे.
तभी अपना रौब ग़ालिब करता हुआ अल्फ़ा मंकी लगभग 7 सदस्यों की टीम के साथ आ धमका उसने आव देखा न ताव सीधा रमेश चंद्र पर हमला बोल दिया अल्फ़ा मंकी ने मुँह से लेकर पैर तक उन्हें कईं जगह काट खाया है.
रमेश चंद्र की बांयी आँख के ठीक ऊपर काट खाया है जरा भी ऊंच नीच होती तो उनकी आँख भी जा सकती थी ठीक इसी प्रकार उनकी गर्दन पर भी घाव बने हैं.
जिस प्रकार पतंग के मांझे से गर्दन कटने से जान पर बन आती है. वैसे ही अगर ये घाव जरा नीचे होते तो रमेश चंद्र की जान पर मुश्किल हो सकती थी.
बहरहाल अल्फ़ा मंकी के हमले में शिकार होते ही मौके पर तमाम भीड़ जुट गयी आनन-फानन में उन्हें डोईवाला के सरकारी हॉस्पिटल लाया गया है जहां उनका उपचार किया गया है.
इस घटना से स्थानीय व्यक्ति डरे सहमे हुये हैं
और जब युवती पर किया हमला
अल्फ़ा मंकी और टीम की गुंडई और आतंक के और भी मामले हैं.
प्रेमनगर में रहने वाले रामचंद्र ने बताया कि बीते दिनों धमाचौकड़ी मचाता हुआ अल्फ़ा मंकी अपनी टीम के साथ जब उनकी बेटी ऋतू पर झपटा तो घबराकर जान बचाने के लिए भागते वक्त वह अपने छत की सीढ़ियों से गिर पड़ी.
जिससे वह घायल हो गयी डॉक्टर के द्वारा ऋतू को पांच टाँके लगाने पड़े.
चिड़ियापुर के सेंटर में होती है ‘नसबंदी’
डोईवाला के फारेस्ट रेंज ऑफिसर घनानंद उनियाल ने बताया कि सामान्य तौर पर हम मंकी पकड़ने के लिये पिंजरे का प्रयोग करते हैं जिसके बाद उन्हें Animal Birth Control Center ,चिड़ियापुर अथवा दूर जंगल में छोड़ दिया जाता है चिड़ियापुर के सेंटर में नसबंदी के बाद इन्हें वापस जंगल में छोड़ दिया जाता है.
अल्फ़ा बंदर अपने दल का मुखिया होता है .
ऐसे में ये वापस आ जाते हैं चूंकि इन्हें पिंजरे की समझ होती है इसलिये आसानी से दुबारा पिंजरे से पकड़ना लगभग मुश्किल होता है.
“मथुरा के मंकी कैचर” ने पकड़े डोईवाला से 500 मंकी
लच्छीवाला के फारेस्ट रेंज ऑफिसर घनानंद उनियाल ने बताया कि जो मंकी पिंजरे से पकड़ने मुश्किल होते हैं. उनके लिये उत्तर प्रदेश के मथुरा से “मंकी कैचर” बुलाये जाते हैं.
बीते दो वर्षों में इन मंकी कैचर के द्वारा डोईवाला क्षेत्र से 500 बंदर पकड़े गये हैं.
नगर पालिका बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव
वार्ड 18 सभासद सुनीता सैनी के पति और सामजिक कार्यकर्त्ता अवतार सिंह ने जानकारी देते हुये बताया है कि क्षेत्र में बंदरों की समस्या को लेकर नगर पालिका परिषद की बोर्ड मीटिंग में भी प्रस्ताव दिया गया है.
सभी प्रयासरत हैं कि इस समस्या का शीघ्र हल निकले.
मंकी अटैक से बचने के 3 ख़ास उपाय
लच्छीवाला वन विभाग के रेंजर घनानंद उनियाल ने “यूके तेज” को बंदर के हमले से बचने के कुछ प्रमुख उपाय बताये हैं.
(1) खाने की सामग्री बंदरों को आकर्षित करती है इसलिए घरों के आस-पास इस प्रकार की खाद्य वस्तुओं को बंदरों की पहुंच से दूर रखें
(2) यदि कभी भी खासतौर पर “अल्फ़ा मंकी” आपके नजदीक आये तो भूल से भी उससे आँखों में आँखें डालकर नजर न मिलाये ऐसा करने पर वो आप पर हमले की मुद्रा में आ जाता है
(3) पटाखों की आवाज और गुलेल बंदरों को भगाने में काफी मददगार है
क्या कहा नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने
डोईवाला नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी उत्तम सिंह नेगी ने कहा है कि बंदरों के हमले को लेकर हमें काफी शिकायतें प्राप्त हुई हैं इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
“मंकी अटैक” पर क्या करें और क्या न करें
डोईवाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी डॉ. के. एस. भंडारी के अनुसार यदि बंदर काट खाये तो
(1) घाव को साबुन से अच्छे से धो दें.
(2) मरीज को एंटी रेबीज के टीके दिये जाते हैं काटने की घटना के 24 घंटे के भीतर जितना जल्दी हो एंटी रेबीज का पहला टीका लगवा लें.
0-3-7-14-28 दिनों के अंतराल पर एंटी रेबीज के टीके लगाये जाते हैं.
(3) मेडिकल साइंस के मुताबिक बंदर काटने के मरीज को घाव पर टांके नही लगाये जाने चाहिये.