देहरादून : स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी के द्वारा वर्ल्ड क्लीनिकल डे मनाया गया जिसके तहत शहीद दुर्गामल्ल डिग्री कॉलेज में एक जागरूकता अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुये डाॅ. आशा चंदोला ने कहा कि एक्सपर्ट द्वारा रिसर्च के माध्यम से विकसित नई चिकित्सा पद्धतियों के सामान्य प्रयोग से पूर्व इनके प्रभाव व कुप्रभावों का अध्ययन करने के लिये क्लिनिकल ट्रायल किया जाता है।
इसमें खरा उतरने पर ही किसी नयी विकसित दवा या पद्धति को उपचार के लिए प्रयोग में लाने की अनुमति सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
चिकित्सा पद्धतियों के अन्तर्गत टीका, दवा, आहार संबंधी विकल्प, आहार की खुराक, चिकित्सीय उपकरण, जैव चिकित्सा आदि आते हैं।
चिकित्सा क्षेत्र के इच्छुक छात्र क्लीनिकल ट्रायल को एक कैरियर के तौर पर भी अपना सकते हैं।इस क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं।
डाॅ. जयंती सेमवाल ने कहा कि हर वर्ष 20 मई को विश्व क्लिीनिकल ट्रायल दिवस आयोजित किया जाता है।
क्लीनिकल ट्रायल हमें वैज्ञानिक प्रश्नों का जवाब देता है और बीमारी को रोकने के, इसके परीक्षण के लिए, निदान या उपचार के लिए बेहतर तरीके खोजने में मददगार साबित होता है।
क्लीनिकल ट्रायल के द्वारा नये उपचार की पहले से उपलब्ध उपचार के साथ तुलना भी कर सकता है।
छात्र-छात्राओं ने शहीद दुर्गामल राजकीय स्नातकोतर महाविलद्यालय डोईवाला में क्लीनिकल रिसर्च जागरुकता अभियान चलाया गया।
जिसमें छात्र-छात्राओं को इसके महत्व के विषय में जानकारी साझा की गयी।
इस अवसर पर डोईवाला महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. एमसी नैनवाल, डा. महावीर सिंह रावत, डाॅ. सुनीति कुड़ियाल, डाॅ. निक्कू यादव, बद्रीश, गणेश, मोनिका, स्वाति , श्वेता, शिवानी, सविता आदि उपस्थित थे।