“बौद्धिक संपदा यानि दिमाग की उपज” आपको पैसा भी कमा के देता है:राजेंद्र डोभाल,डीजी,यूकॉस्ट
देहरादून : उत्तराखंड स्टेट कॉउन्सिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकॉस्ट) के सहयोग से स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी में “इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स” पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने सीधे शब्दों में समझाया कि,”बौद्धिक संपदा यानि दिमाग की उपज” है से आप पैसा भी कमा सकते हैं।
शीतल पेय कोक के ढ़क्कन के पेटेंटकर्ता ने 1 सेंट प्रति कोक के हिसाब से 20 वर्षो तक 35 मिलियन प्रति वर्ष कमाये हैं।
डॉ. डोभाल ने कहा कि,” अब विश्व के कईं देश नैनो टेक्नोलॉजी के स्तर पर जाकर पेटेंट कर रहे हैं।
उन्होंने उदहारण देकर समझाया कि पहले हल्दी के पेटेंट की बात करते थे लेकिन अब हल्दी के सबसे असरकारक तत्व करक्युमिन के प्रभाव का पेटेंट किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार फ्यूचर कमर्शियल एक्टिविटी को एक नयी दिशा प्रदान करेगा।
आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर रजत अग्रवाल ने कहा कि अभी हमारे देश में बौद्धिक संपदा अधिकार को लेकर जागरूकता की कमी है।
चीन जहां एक साल में 9 लाख पेटेंट फाइल करता है वहीं भारत मात्र 12500 ही पेटेंट फाइल करता है।
उन्होंने कहा कि आईपी एनालिटिक्स या आईपी माइनिंग रोजगार का नया क्षेत्र हो सकता है।
स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि हमें इंटेलेक्टुअल प्रॉपर्टी राइट्स के क्षेत्र में बहोत कुछ सीखने की आवश्यकता है।
उन्होंने उदाहरण देकर बताया की एप्पल फ़ोन के 250 पेटेंट हैं जो हमारे उत्तराखंड के गढ़वाल के 5 जिलों से भी छोटे देश फ़िनलैंड के पास हैं।
वर्कशॉप का वेलकम एड्रेस एसआरएचयू की आईपीआर सेल की चेयरमैन डॉ. उमा भारद्वाज ने किया जबकि समापन संबोधन मेंबर सेक्रेटरी अनुपम धस्माना ने किया।
इस अवसर पर यूकॉस्ट महानिदेशक डॉ.राजेंद्र डोभाल,कुलपति डॉ. विजय धस्माना,प्रोफेसर रजत अग्रवाल,डॉ. उमा भारद्वाज,डॉ. अनुपम धस्माना,योगेंद्र सिंह,डीसी धस्माना,डॉ. विवेक कुमार,हिमांशु गोयल,डॉ. लूसी राणा,डाॅ. विजेन्द्र चैहान, डाॅ. प्रकाश केशवैया, डाॅ. सुनील सैनी, डाॅ. रेनू धस्माना आदि उपस्थित थे।