

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : चील से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
► बाज के मुकाबले चील बड़े आकर की होती है
► इसके पंखों का फैलाव भी ज्यादा होता है
► चील बाज से ज्यादा ताकतवर होती है
► चील आसमान में बिना पर फड़फड़ाये भी चक्कर लगाती रहती है
► 1782 में बाल्ड ईगल को विश्व के प्रतिनिधि पक्षी के रूप में राष्ट्रीय पक्षी चुना गया था
कब और कहां का है मामला
डोईवाला के देहरादून मार्ग मिस्सरवाला से एक चील को रेस्क्यू किया गया है
यह चील घायल अवस्था में यूको बैंक के पास थी
इसे कल दोपहर लगभग 3 बजे रेस्क्यू किया गया है
नही देखी गयी चील की बेबसी
दरअसल एम्प्लॉयमेंट स्टेट इंश्योरेंस (Employment State Insurance) से जुड़े प्रदीप भट्ट ने सबसे पहले इस चील को मिस्सरवाला के यूको बैंक के पास देखा
प्रदीप भट्ट ने देखा कि यूको बैंक के पास वाली गली में एक चील है
यह चील उड़ नही पा रही है
जब उन्होंने पास जाकर गौर से देखा तो पाया कि चील घायल अवस्था में है
श्री भट्ट ने पाया चूंकि चील उड़ नही पा रही है वो अपनी बेबसी पर सिमटकर गली की दीवार से सटी हुई है
ऐसे में कोई भी कुत्ता इत्यादि जानवर उस पर हमला करके उसे जान से मार भी सकता था
ऐसे में प्रदीप भट्ट के द्वारा उसकी बेबसी नही देखी गयी
मानवता का परिचय देते हुए उन्होंने तत्काल ही इसकी सूचना वन विभाग को दी
नेक कार्य की प्रशंसा
स्थानीय निवासी राकेश ध्यानी,निवर्तमान सभासद मनीष धीमान,पूर्व मंडल अध्यक्ष मंदीप बजाज,
निवर्तमान सभासद गौरव मल्होत्रा,हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ गौरांग,सावन राठौर,
सोनू गोयल,पंकज शर्मा,राकेश तायल,सचिन मेहता आदि
ने प्रदीप भट्ट और वन विभाग के इस नेक कार्य की प्रशंसा की है
कैचिंग नेट लेकर पहुंची वन विभाग की टीम
सूचना मिलने पर वन विभाग डोईवाला की लच्छीवाला रेंज से एक रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची
रेस्क्यू टीम के द्वारा एनिमल कैप्चरिंग नेट का प्रयोग किया गया लेकिन घायल होने की वजह से वह ज्यादा हलचल नही कर पा रही थी ऐसे में टीम ने ग्लव्स पहनकर हाथों से ही उसे पकड़ लिया
जख्मी है रेस्क्यू की गयी चील
वन विभाग की टीम के सदस्यों ने पाया कि चील के बांये तरफ के पंख टूटे और क्षतिग्रस्त हैं
ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी पतंग के मांझे अथवा किसान के खेत की तारबाड़ में उलझने से उसके पंख टूट गये हों
24 घंटे के ऑब्जरवेशन में
फारेस्ट टीम के द्वारा घायल चील को रेस्क्यू करके रेंज ऑफिस लच्छीवाला लाया गया है
जहां उसे पहले 24 घंटे के लिये ऑब्जरवेशन में रखा गया है
फारेस्ट अफसर चंडी प्रसाद उनियाल का कहना है कि यदि पहले एक दिन के बाद चील की अवस्था में कोई सुधार नही होता है तो ऐसे में इसे उपचार के लिए रेफेर किया जा सकता है
आवश्यकता के अनुसार इसे देहरादून ज़ू अथवा एनिमल रेस्क्यू सेंटर चिड़ियापुर भेजा जा सकता है