Uttar Pradesh

जानिये किस दानव को विदा करते वक्त लोगों ने की जूते-चप्पलों से पिटाई

• ऊंट पर निकली सवारी, मिली अनोखी की विदाई
• प्लास्टिक रूपी दानव को विदा करते वक्त लोगों ने की जूते-चप्पलों से पिटाई
• उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में निकाली गई प्लास्टिक की व्यंग्यात्मक विदाई यात्रा
प्रयागराज : कहते हैं … हथौड़ा इतना वजनदार चलाओ कि चोट का असरदार हो, जो लोहे का भी आकार बदल सके।

जागरूकता अभियान तो बहुत चलाए जाते हैं पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जो हुआ, ऐसा जुलूस शायद ही कभी कहीं निकाला गया हो।

यहां खुशरू बाग लीडर रोड पर जल कल विभाग नगर निगम प्रयागराज की ओर से एक निराली विदाई यात्रा निकाली गई।

यह थी ‘प्लास्टिक की विदाई यात्रा’, जो कि स्वच्छता पखवाड़ा – स्वच्छता ही सेवा के अंतर्गत निकाली गई थी।

लोगों तक प्लास्टिक की विदाई करने के लिए प्रेरित करने का यह अंदाज भले ही व्यंग्य से भरपूर रहा,

मगर मामला बहुत गंभीर और उद्देश्य बेहद नेक था।

व्यंग्य में दिया गया संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता है,

बस यही वजह रही कि प्रयागराज नगर निगम ने यह तरीका अपनाया

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रजनीश प्रताप सिंह तेज

अब मन में सवाल आएगा कि प्लास्टिक की विदाई यात्रा में खास क्या है,

तो भैया विदाई यात्राएं तो तमाम तरह की निकलती हैं,

राजनीतिक रैलियों में तो कई बार विरोध स्वरूप किसी जिंदा आदमी की शव यात्रा तक निकाल दी जाती है।

खैर, अभी तक तो आपने प्लास्टिक के बैन होने, उसके खिलाफ एक्शन और रिकवरी होने,

बैन हो चुकी प्लास्टिक के इस्तेमाल पर चालान या ‘सिंगल यूज प्लास्टिक को ना’ कहने के लिए प्रेरित करने वाले जागरूकता अभियान के बारे में ही देखा या सुना होगा।

पर, सभी मामलों में प्लास्टिक निर्जीव होती है, कहने का मतलब जिंदा नहीं होती।

सुनकर भले ही हैरानी हो, मगर प्रयागराज में जो विदाई यात्रा निकाली गई उसमें प्लास्टिक जिंदा नजर आई।
इस अनोखी विदाई यात्रा में कई बातें निराली थीं,
क्योंकि यहां प्लास्टिक जिंदा ही नहीं, बल्कि काफी भयानक और हिंसक प्रवृत्ति की दिखाई दी, जिसके हाथ में तलवार भी थी।

दरअसल इस विदाई यात्रा में प्लास्टिक रूपी दानव दिखाया गया, तो तलवार लेकर मजाकिया अंदाज में ही सही लोगों की जान लेने को तैयार बैठा था।

बाकायदा एक बग्गी के आगे प्लास्टिक की विदाई यात्रा का बैनर लेकर निगमकर्मी चल रहे थे।

किसी बारात की तरह ढोल नगाड़े बजाए गए और दूल्हे की तरह प्लास्टिक के वेश में एक व्यक्ति ऊंट पर बैठा हुआ था

अच्छी खासी संख्या में बाराती, या कहें क्षेत्रीय लोग, निगम अधिकारी और कर्मचारी इस विदाई यात्रा में शामिल हुए।

भले ही विदाई यात्रा निकल रही थी, पर सजे-धजे ऊंट पर सवार प्लास्टिक रूपी दानव मस्ती से झूमता और नाचता दिखाई दिया।

एक अन्य ऊंट पर प्लास्टिक को अलविदा कहने के लिए विकल्प सुझाने के संदेश दिए गए।

प्लास्टिक के खिलाफ नारेबाजी हो रही थी, पर इस विदाई यात्रा में आए बाराती दुखी नहीं थे, बल्कि प्लास्टिक की विदाई पर नाचते हुए नारे लगा रहे थे।

जैसा कि संदेश देने का अंदाज अनोखा था, तो हर किसी का ध्यान वास्तव में इस विदाई यात्रा पर जा रहा था, कोई हैरान, तो कोई परेशान था कि यह भला कैसी यात्रा है।

पर संदेश बिल्कुल साफ था इसलिए किसी को समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि यहां प्लास्टिक को हमेशा के लिए अपनी जिंदगी से दूर करने की बात चल रही है।

यह यात्रा बाजारों, कॉलोनियों और गली मोहल्लों से गुजरी और लोगों के दिमाग पर उसी जोरदार हथौड़े की वार करते हुए जागरूकता फैलाने का काम किया,

जिसकी चोट से लोग सोचने को मजबूर हो जाएं और प्लास्टिक इस्तेमाल करने के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएं।

अंत में चार कंधों पर लोगों ने प्लास्टिक रूपी हैवान को उठाकर कचरा ढोने वाले वाहन में फेंक दिया और फिर उसकी जूते-चप्पलों से पिटाई की गई।
यह दानव अपनी विदाई के दौरान कभी तड़पता दिखा, तो कभी मरने और खत्म होने का नाटक करता दिखा,
जिसे देख लोगों की हंसी छूट गई।
इस तरह हंसते-हंसाते, पिटते-पिटाते प्लास्टिक रूपी दानव तो वहां से चला गया,

पर सभी के दिलो-दिमाग पर यह असर छोड़ गया कि अब हमेशा के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करना है।

क्योंकि यह प्लास्टिक हमारे ही नहीं, बल्कि हमारी पूरी प्रकृति के लिए नुकसानदायक है।

जहां हमें कैंसर जैसी बीमारियां दे रही है,

वहीं लंबे समय तक नष्ट नहीं होने वाली यह प्लास्टिक धरती को भी बंजर बना सकती है

 

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