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( पर्यावरण ) वर्ल्ड वेटलैंड डे पर आसन रिज़र्व में हुआ बर्ड वाचिंग प्रोग्राम

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देहरादून :हर साल 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetland Day) मनाया जाता है। इस वर्ष वेटलैंड डे की थीम “वेटलेंड और जीवन” निर्धारित की गयी है

यह दिन वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने, उसे बढ़ावा देने तथा हमारे ग्रह के लिये वेटलैंड की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताने के लिए आयोजित किया जाता है।

वेटलैंड का मतलब होता है नमी या दलदली क्षेत्र अथवा पानी से संतृप्त भूभाग से है।

आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो सालभर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है।

भारत में वेटलैंड ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। वेटलैंड के बहुत से लाभ है।

जैविक रूप से विविध पारिस्थितिक तंत्र जो कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करना, तूफान और बाढ़ के खिलाफ तट पर बफ़र्स के रूप में सेवा करना, पानी की गुणवत्ता में सुधार करने, बाढ़ के पानी को स्टोर करने और हानिकारक प्रदूषकों को बदलकर स्वाभाविक रूप से पानी को फ़िल्टर अर्थात जल को प्रदुषण से मुक्त करना है।

इस वर्ष माटी संगठन, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, और अल्पाइन ग्रुप ऑफ कॉलेज द्वारा संयुक्त रूप से विश्व वेटलैंड डे के अवसर पर Asan conservation Reserve, Dehradun में बर्ड वाचिंग कार्यक्रम का आयोजन किया।

Asan wetland उत्तराखंड का पहला वेटलैंड है जिसको रामसर साइट घोषित किया गया है। आसन बैराज, आसन और यमुना नदी के किनारे फैला लगभग 4.5 किमी का क्षेत्र है।

इस क्षेत्र में सितम्बर -अक्टूबर से ही विदेशी मेहमानो अर्थात प्रवासी पक्षियों का आना आरम्भ हो जाता है इस कार्यक्रम की शुरूवात जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के वैज्ञानिक डा गौरव शर्मा द्वारा की गयी।

उन्होंने सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए वेटलैंड व् प्रवासी पक्षियों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि उनका संस्थान प्राणियों पर शोध के विषय में एक लम्बे समय से शोधार्थियों को दिशा निर्देश प्रदान करता रहा है और भविष्य में भी हम शोध कर रहे विद्यार्थियों को हर संभव मदद करेंगे ।

तत्पश्चात इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ वेद प्रकाश तिवारी, संस्थापक और वैज्ञानिक, माटी संस्थान ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए वेलैंड डे को मानाने के उद्देश्य, वेटलैंड के हमारे जीवन में महत्त्व से लेकर इनके संरक्षण हेतु किये जाने वाले प्रयासों के विषय में रोचक जानकारी दी

उन्होंने प्रवासी पक्षियों के बारे में भी चर्चा की और बताया कि कैसे बर्डवॉचिंग एक मनोरंजन के साथ साथ हमें इन नन्हे जीवों के जीवन की विभिन्न क्रियाओं व् पहलुओं से भी रूबरू करवाता है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि हर किसी को स्थानीय स्तर पर और विश्व स्तर पर इस तरह के जैव विविधता दस्तावेज में संलग्न होना चाहिए ताकि यह हमारे वन्यजीवों और उनके आवासों को बचाने के लिए एकजुट होकर कार्य कर सके।

इस कार्यक्रम का संचालन डॉ हिमानी बडोनी, प्रोजेक्ट साइंटिस्ट, माटी संस्था ने किया। इस दौरान भारतीय प्राणी सर्वेक्षण से डा अनिल कुमार, पक्षी विशेषज्ञ ने भी इन पक्षियों के विषय में अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया

इसके बाद माटी की एक रिसर्च स्कॉलर ओएँड्रिल्ला सान्याल ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सभी प्रतिभागियों को 4 समूहों में विभाजित किया व् बर्डवाचिंग के नियमो के विषय में सभी को बताया ।

छात्रों ने पक्षियों के संबंध में सभी जानकारी एकत्र की और उनके व्यवहार और आवास को बहुत ही प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। सभी ग्रुप्स के फील्ड नोट्स और ड्राइंग का आकलन करने के पश्चात् वहां उपस्थित सभी संस्थानों के वैज्ञानिको द्वारा कार्यक्रम के अंत में बेस्ट-बर्ड वॉचर से 1 समूह को सम्मानित किया गया ताकि वे भविष्य में भारत की जैव विविधता को बचाने के लिए आगे आएं।

इस वेटलैंड के अवसर पर अल्पाइन इंस्टिट्यूट के विधार्थियों के साथ साथ पर्यावरण डिपार्टमेंट के अध्यक्ष एम डी कौसर ने भी भाग लिया। कुल 70 प्रतिभागी बर्डवॉचर्स वहाँ थे जिन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

सबसे ज्यादा पाए जाने वाले पक्षियों को प्रलेखित किया गया जिनमे हैरूडी शेल्डक, टफ्टेड डक, रेड-क्रेस्टेड पोचर्ड, नार्दर्न पिंटेल, पेंटेड स्टॉर्क, ग्रे हेडेड स्वेफेन कॉमन कोट, कॉमन मूरेन, इंडियन स्पॉट-बिल्ड डक, ग्रे हेरॉन, रिवर लैपविंग, ग्रीन सैंडपाइपर आदि प्रमुख है।

अंत में प्रतीक्षा, सीनियर रिसर्च फेलो, माटी ने सभी लोगो का धन्यवाद व्यक्त करते हुए माटी और भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा आयोजित ऑनलाइन फोटोग्राफी प्रतियोगीयता के बारें में बताया।

इस कार्यक्रम के अवसर पर माटी टीम के सभी सदस्य जिसमें की अनुप्रिया, शेफाली, मृतुन्जय, रश्मि , शालिनी, विशाल, देशांशी, मौजूद थे। इस दौरान इन पक्षियों की विभिन्न क्रियाओं से सम्बंधित फोटोग्राफ व विडियो भी संलेखित की गयी।

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