देहरादून : विश्व टीबी दिवस के उपलक्ष्य में पेन-इंडिया फाउंडेशन की ओर से टीबी जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के चिकित्सकों ने लोगों को टीबी के लक्षण, बचाव व उपचार की जानकारी दी।
रविवार को निःशुल्क शिक्षण संस्थान पेन- इंडिया स्कूल में टीबी जागरूकता शिविर आयोजित किया गया।
इसमें हिमालयन इंस्टिट्यूट मेडिकल साइंसेज के कम्युनिटी विभाग के डॉ. दीपशिखा वार्ष्णेय व डॉ. विदिशा वल्लभ के निर्देशानुसार डॉ.पुनीत कालरा व डॉ. सुमित कुमार ने शिविर में आए लोगों को टीबी के इलाज सहित उसकी प्रक्रिया की भी जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि हिमालयन हॉस्पिटल में टीबी का इलाज पूरी तरह निःशुल्क किया जाता है।
इससे पहले पेन-इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक अनूप रावत ने स्मृति चिह्न के रुप में राष्ट्र ध्वज देकर चिकित्सकों का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि विश्व टीबी दिवस को मनाए जाने के पीछे कारण है लोगों को इस रोग की गंभीरता को लेकर जागरुक करना। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष का विषय “यह समय है, कार्रवाई का, यह समय है टीबी को ख़त्म करने का” तय किया है।
भारत में टीबी से डॉक्टर्स सालों से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस लड़ाई में असली जान तभी आएगी जब लोग जागरुक होंगे।
शिविर संचालन में निदेशक संतोष बुड़ाकोटी, वॉलंटियर शिक्षिका दीपालिका नेगी ने सहयोग दिया।
तीन लाख मरीजों की मौत
प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. दीपशिखा वार्ष्णेय ने बताया कि दुनियाभर में टीबी के नए मामलों में से 27 फीसदी भारत में सामने आते हैं। भारत में सालाना 23 लाख से ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं। जबकि उचित इलाज के अभाव में तीन लाख मरीजों की मौत हो जाती है।
कुपोषण टीबी की मुख्य कारण
शोध में पाया गया है कि पर्याप्त भोजन की कमी भारत में टीबी या तपेदिक का मुख्य कारण है। स्वस्थ लोगों की तुलना में कुपोषित लोगों में टीबी होने की संभावना चार गुणा बढ़ जाती है।
डॉ.विदिशा वल्लभ ने बताया कि हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता 90 फीसदी तक कीटाणुओं से होने वाले संक्रमण से रक्षा करती है। जबकि दस फीसदी जो संक्रमण होता है वो प्रतिरोधक क्षमता के कम होने से होती है। प्रतिरोधक क्षमता के कम होने की वजह है पोषण की कमी।
क्या है टीबी- टूयूबर क्लोसिस जो कि बैक्टीरिया जीवाणु माइकोबैक्टीरियम टयूवरक्लाई से होता है। टीबी एक संक्रामक रोग है, जो शरीर के हरएक अंग को प्रभावित करता है।
टीबी के कारण व लक्षण- खांसी, छाती में दर्द होना, वनज कम होना व खून वाली खांसी होना।
टीबी की शारीरिक जांच– एक्स रे, खून की जांच, मोनटॉक्स जांच, बलगम की जांच
टीबी से बचाव- नौनिहालों को बीसीजी का टीका लगवाएं, टीबी की दवाई को बिना डॉक्टरी सलाह के बंद न करें, आस-पास सफाई रखें, छींकते समय मुंह ढकें
हिमालयन में 25 से 27 तक टीबी जांच शिविर
हिमालयन हॉस्पिटल के पल्मोनेरी मेडिसिन (छाती रोग) विभागाध्यक्ष डॉ.संजीव कुमार व डॉ. राखी खंडूरी ने बताया कि हॉस्पिटल की ओर से टीबी जागरुकता को लेकर विशेष अभियान चलाया जाएगा।
25 मार्च से 27 मार्च तक तीन दिवसीय निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान मरीजों का निशुल्क पंजीकरण व एक्स-रे में 50 फीसदी छूट मान्य होगी।
इसके साथ ही 28 मार्च डोईवाला हॉस्पिटल में एक दिवसीय विशेष टीबी जांच शिविर का आयोजन किया जाएगा।