Dehradun

डोईवाला के माजरी की ग्रामीण महिलाओं की सफलता गाथा,पशुपालन और डेयरी से बदल रही किस्मत

Success story of rural women of Majri of Doiwala, their fortunes are changing through animal husbandry and dairy.

 

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : डोईवाला के लाल तप्पड़ ,माजरी ग्रांट में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।

नई दिशा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पशुपालन और डेयरी का काम करके अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं।

समूह की महिलाएं:

अध्यक्ष: रेनू
सदस्य: राजेंद्र कौर, प्रकाश कौर, सरबजीत कौर, जीत कौर

समूह की अध्यक्ष रेनू के नेतृत्व में, महिलाएं गायों को पालकर दूध का उत्पादन 140-150 किलो प्रतिदिन तक कर रही हैं।

दूध की बिक्री से समूह को अच्छी आय हो रही है।

स्थानीय ग्राहकों को 20 किलो दूध प्रतिदिन ₹50 प्रति किलो की दर से बेचा जाता है, जिससे प्रतिदिन ₹1000 और मासिक ₹30000 की आय होती है।

125-130 किलो दूध प्रतिदिन थोक भाव में वितरकों को ₹40 प्रति किलो की दर से बेचा जाता है,

जिससे प्रतिदिन ₹5000 और मासिक ₹150000 की आय होती है।

कुल मिलाकर समूह को मासिक ₹180000 की आय होती है। भूसा और दाने पर एक लाख रुपये का खर्च होता है, जिसके बाद ₹70,000-₹80,000 का लाभ होता है।

यह सफलता महिलाओं के सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास का एक प्रेरणादायी उदाहरण है।

यह कहानी बताती है कि सरकारी योजनाओं और महिलाओं की दृढ़ता से ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

एनआरएलएम महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

पशुपालन और डेयरी व्यवसाय ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का एक लाभदायक स्रोत हो सकता है।

सामूहिक प्रयास और कड़ी मेहनत से महिलाएं अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकती हैं।

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