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( हेल्थ ) हर साल 4 लाख बच्चों में कैंसर,समय पर पहचान तो बच सकती है जान

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देहरादून : बाल कैंसर जागरुकता दिवस के अवसर पर हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीआरआई) में कैंसर जागरुकता पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

इस दौरान चिकित्सकों ने लोगों को बच्चों में विभिन्न तरह के कैंसर के कारण, बचाव व उपचार की जानकारी दी।

सोमवार को बाल कैंसर जागरुकता दिवस पर हिमालयन हॉस्पिटल के सीआरआई में बाल रोग कैंसर जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निदेशक डॉ.सुनील सैनी ने कहा कि बड़ों के मुकाबले बच्चों में कैंसर की संभावना बहुत कम होती है। लेकिन अगर बच्चे को कैंसर हो जाए तो घबराएं नहीं।

समय पर उपचार मिलने से 80 से 90 फीसदी बच्चों को इस घातक बीमारी से बचाया जा सकता है।

इसके लिए सीआरआई में एक्सपर्ट डॉक्टरों का पैनल मौजूद है। आम तौर पर बच्चों में ब्लड कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट बनाए जाने से उपचार और भी बेहतर तरीके से संभव है। बाल रोग कैंसर चिकित्सक डॉ.बीपी कालरा ने सीआरआई में आने वाले कैंसर रोगियों में 15 से 20 बच्चे होते हैं।

डॉ.मीनू गुप्ता ने बताया कि इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य मरीजों के साथ उनके परिजनों व अन्य लोगों को कैंसर के प्रति जागरुक करने के साथ विभिन्न भ्रांतियों को दूर करना है।

बच्चे का खान-पान का विशेष ध्यान रखें। जेनेटिक के अलावा जंक फूड व लाइफ स्टाइल बच्चों में होने वाले कैंसर का एक बड़ा कारण है।

साथ ही बच्चों को फोन से दूर रखें।

इस दौरान डीन डॉ.मुश्ताक अहमद, डॉ.रेनू धस्माना, डॉ.एसके वर्मा, डॉ.कुनाल दास, डॉ.विपुल नौटियाल, डॉ.आकाश, डॉ.राहुल, आदि मौजूद रहे।

हर साल चार लाख बच्चों में कैंसर

बच्चों में चार प्रकार का कैंसर फैल रहा है-एक्यूट ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा और लिम्फोमा। आपको बता दें कि दुनिया में हर साल चार लाख से अधिक बच्चों को कैंसर होता है।

जिसमें से करीब तीन लाख बच्चों की मौत हो जाती है। इनमें से दो लाख बिना इलाज के दम तोड़ देते हैं।

बच्चों के कैंसर के कारण-

अनुवांशिकता, अप्रत्यक्ष धूम्रपान, पराबैंगनी किरणें, जंक फूड, लाइफ स्टाइल, बिना डॉक्टरी सलाह के दवाईयों का सेवन, रेडियेशन (मोबाइल)

कैंसर का लक्षण-

गर्दन में गांठें, पेट में सूजन, वजन न बढ़ना, उल्टी आना, व्यवहार में अप्रत्याशित बदलाव

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