Uttarakhand

चारधाम देवस्थानम् बोर्ड पर हाईपावर कमिटी की संस्तुति पर लेगी धामी सरकार अगला कदम

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( PRIYANKA SAINI )

देहरादून : मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम 15 जून, 2020 के गैजेट में अधिसूचित होने पर अस्तित्व में आया है।

अधिनियम के अंतर्गत रावल, पंडे, पुजारी, हक-हकूकधारी, स्थानीय हितधारकों के पारंपरिक, धार्मिक एवं आर्थिक अधिकारों को सुरक्षित रखने की बात रहने के बावजूद भी इन पवित्र धामों के कतिपय हितधारकों के मन में संशय एवं अनिश्चितता प्रतीत होती है।उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा उत्तराखण्ड राज्य के लिए आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण है एवं उससे राज्य के सभी वर्गों का हित व विकास जुड़ा है।

उनका मानना है कि इस आर्थिक गतिविधि को नए आयाम देते हुए स्थानीय उद्देश्य व्यवसायियों एवं हक-हकूकधारियों के हकों को प्रतिकूल प्रभाव ना पड़ने देने के उद्देश्य से कोई भी नई व्यवस्था को खरा उतरना होगा।

 सर्व हितधारकों से प्रभावी विचार-विमर्श के उपरान्त राज्य सरकार सकारात्मक परिवर्तन/संशोधन करने के पक्ष में है।

इसलिए इस अधिनियम से हुई व्यवस्था परिवर्तन से हितधारकों पर हुए परिणामों का आंकलन करने और व्यवस्था विचलन के विधिक परिणामों के आकलन हेतु एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जा रहा है।

समिति की संस्तुति के आधार पर चारधाम देवस्थानम् बोर्ड की व्यवस्था के संदर्भ में अग्रिम निर्णय लिया जायेगा।

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