
Doiwala Sugar Mill did historical and record breaking sugar production in one day.
डोईवाला सुगर कंपनी लिमिटेड के द्वारा वर्तमान सत्र में एक से बढ़कर एक बेहतरीन कार्य किये जा रहे हैं.
चीनी मिल अधिशासी निदेशक जहां मिल कर्मचारियों में नयी कार्यसंस्कृति का विकास कर रहे हैं वहीं उत्पादन के पैमाने पर भी खरे उतर रहे हैं.
डोईवाला सुगर मिल से प्राप्त आंकड़ों पर यदि विश्वास किया जाए तो परिणाम वाकई में बेहद चौंकाने वाले हैं.
सबसे बड़ी खास बात यह है कि चीफ इंजीनियर की अनुपस्थिति के बावजूद अधिशासी निदेशक डीपी सिंह के कुशल प्रबंधन के चलते 1 दिन में रिकॉर्ड तोड़ 2900 कुंतल चीनी का उत्पादन किया गया है.
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रजनीश प्रताप सिंह
देहरादून : पुराने ‘रोने’ को छोड़ा पीछे
पूर्व में तैनात अधिकारी जहां चीनी मिल की “मशीनरी अत्यधिक पुरानी होने की दुहाई” देते थे
जिससे गन्ना किसानों के मन में भी यह बात घर कर गई थी कि सुगर मिल अब बूढी हो चली गई है और इससे अधिक उत्पादन लेना अब संभव नहीं है.
और रच दिया इतिहास
नए अधिशासी निदेशक डीपी सिंह ने अपने सक्षम अधिकारी होने का प्रमाण देते हुए कल चीफ इंजीनियर की अनुपस्थिति होने के बावजूद 25250 कुंतल गन्ने की पेराई कर 2900 कुंटल रिकॉर्ड चीनी का उत्पादन करते हुए सुगर मिल के खाते में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है.
यह एक ऐसा कीर्तिमान है जो शुगर मिल के इतिहास में पूर्व में कभी भी नहीं हुआ है.
और दौड़ी ख़ुशी की लहर
चीनी के रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन से पूरे मिल में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है.
अधिशासी निदेशक डीपी सिंह ने इस रिकॉर्ड तोड़ चीनी के उत्पादन के लिए मिल में तैनात अधिकारियों ,कर्मचारियों और किसानों की टीम भावनाओं को इसका श्रेय दिया है.
अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह ने कहा है कि गन्ना किसानों ,अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा आपस में मिलजुल कर कार्य करने की परिणाम स्वरूप ही ऐसा कीर्तिमान स्थापित हो पाया है.
इतिहास का पहला “सड़क जाम मुक्त पेराई सत्र”
गौरतलब है कि अधिशासी निदेशक डीपी सिंह, मिल हित और जनहित में लगातार कदम उठा रहे हैं जिससे उनकी चहूं ओर प्रशंसा हो रही है.
स्थानीय जनता भी उनकी कार्यशैली से प्रसन्न है क्योंकि डोईवाला सुगर मिल के इतिहास में यह पहली दफा है कि सड़कों पर गन्ने के ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रॉली और बुग्गी आदि का जाम नहीं लग रहा है.
स्थानीय जनता और खासतौर पर व्यापारी वर्ग को इस बात का एहसास भी नहीं हो पा रहा है कि क्या वाकई में सुगर मिल चल भी रही है अथवा नहीं
सुगर मिल में गन्ना आपूर्ति करने वाले कृषकों को भी इस बार कई प्रकार की सहूलियत मिल रही है.