देहरादून : देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अपने जीवन की कुर्बानी देने वाले शहीद भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को डोईवाला के रेनेसां द्रोण स्कूल में एक कार्यक्रम के माध्यम से याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
——————-“मैं बंदूके बो रहा हूँ “—————-
अपने विचार व्यक्त करते हुए सभासद मनीष धीमान ने शहीद भगत सिंह के बचपन के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि, “पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं” इस कहावत को चरितार्थ करते हुए एक बार भगत सिंह बचपन में मिट्टी के टीलों में तिनके लगा रहे थे।
जब किसी ने उनसे पूछा की तुम ये क्या कर रहे हो तो बालक भगत सिंह ने कहा,”मैं बंदूके बो रहा हूँ” और जब पूछा गया क्यूं ?
तो जवाब दिया ,”अपने देश को आजाद कराने के लिए”।
इस प्रकार भगत सिंह में बचपन से ही देशभक्ति कूटकूट कर भरी हुयी थी।
रेनेसां द्रोण के मैनेजर मनीष वत्स ने अपने संबोधन में कहा कि ,”शहीद राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था।
देशभक्ति ही वो सूत्र था जिसने इन्हें भगत सिंह और सुखदेव की अनन्य मित्रता से जोड़ रखा था।
ब्रितानी अधिकारी सांडर्स के वध में इनकी भगत सिंह और सुखदेव के साथ बराबर की भूमिका थी।
प्रधानाचार्य संजय वशिष्ठ ने कहा कि ,”लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने में शहीद सुखदेव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
लाहौर की जेल में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और राजगुरु के साथ ही सुखदेव को भी ब्रिटिश सरकार ने इन्हें फांसी पर लटका दिया था।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य संजय वशिष्ठ, अर्चना सजवान, सरिता सहरावत, प्रियंका खंडूरी, शिवानी गुरुंग अर्चना शर्मा, मनीषा काले, नूतन दास, शिवांक पाल, अंजली क्षेत्री, लोकेश, सुरभि कौशल, नीलम सैनी आदि उपस्थित थे l