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डोईवाला में वर्मीकम्पोस्ट के नाम पर “करोड़ों की ठगी” और सैकड़ों निवेशकों को चूना लगाने का आरोप

Allegations of "fraud of crores" in the name of vermicompost in Doiwala and defrauding hundreds of investors

देहरादून,7 जून 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : स्वरोजगार का सपना दिखाकर करोड़ों रुपये की ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है।

सहारनपुर की “स्टेप फार्मिंग प्राइवेट लिमिटेड” और उसकी सहयोगी कंपनियों पर सैकड़ों निवेशकों से Vermi Compost वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) उत्पादन के नाम पर करोड़ों रुपये हड़पने का आरोप लगा है।

पीड़ित निवेशकों ने पुलिस से कानूनी कार्रवाई की गुहार लगाई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, लगभग दो साल पहले देहरादून और आसपास के क्षेत्रों के निवासियों की पहचान सहारनपुर निवासी विजेंद्र कुमार (मुन्ना लाल का बेटा) और मोहम्मद इकराम (नाजीर हसन का बेटा) से हुई।

इन दोनों ने खुद को “स्टेप फार्मिंग प्राइवेट लिमिटेड”, “स्टेप फार्मिंग इंडिया ओ.पी.सी. प्राइवेट लिमिटेड”, और “एस.एफ. ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड” का मालिक बताया।

उन्होंने निवेशकों को अपने खेतों में केंचुआ पालन और खाद उत्पादन का काम करने पर अच्छी मासिक कमाई का आश्वासन दिया।

कैसे दिया झांसा ?

आरोपियों ने निवेशकों को बताया कि कंपनी में 2,50,000 रुपये का एकमुश्त निवेश करने पर कंपनी उनकी भूमि पर केंचुआ पालन के लिए प्लांट लगाएगी और केंचुआ तथा खाद की खरीद भी स्वयं करेगी।

इसके बदले में निवेशकों को अगले 24 महीनों तक प्रति माह 22,500 रुपये दिए जाएंगे।

उन्होंने सहारनपुर के मांझीपुर में कंपनी का मुख्य कार्यालय भी दिखाया और लगभग 200 बीघा जमीन पर चल रहे वर्मीकम्पोस्ट कार्य को अपनी निजी भूमि बताया।

शुरुआत में जीता विश्वास, फिर लगाया चूना

निवेशकों ने आरोपियों पर भरोसा करते हुए उनकी कंपनी की सदस्यता ली और अपनी-अपनी रकम जमा करा दी।

शुरुआती महीनों में आरोपियों ने निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए उनके खातों में तयशुदा रकम नियमित रूप से जमा की।

इसके बाद, देहरादून और आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में लोगों ने इन कंपनियों में निवेश करना शुरू कर दिया।

अगस्त 2024 से बंद हुए भुगतान, अब टाल-मटोल

हालांकि, अगस्त 2024 से कंपनी ने निवेशकों को मासिक धनराशि का भुगतान बंद कर दिया।

जब निवेशकों ने आरोपियों से संपर्क किया, तो उन्होंने कंपनी के बैंक खातों के ऑडिट का बहाना बनाना शुरू कर दिया और एक-दो महीने में भुगतान सुचारु होने का आश्वासन दिया।

अब लगभग 8-9 महीने बीत चुके हैं, लेकिन निवेशकों को उनकी मासिक रकम नहीं मिली है।

आरोपी लगातार कोई न कोई बहाना बनाकर टाल-मटोल कर रहे हैं।

जान से मारने की धमकी का आरोप 

कई निवेशकों का आरोप है कि 2,50,000 रुपये जमा करने के बावजूद उनकी भूमि पर वर्मीकम्पोस्ट प्लांट स्थापित नहीं किया गया।

जब निवेशकों ने अपनी तय रकम न मिलने पर कानूनी कार्रवाई की बात कही, तो आरोपी लड़ाई-झगड़े पर उतर आए और पुलिस से शिकायत करने पर जान से मारने और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दी।

बैंक ऋण लेकर फँसे निवेशक

अधिकांश पीड़ित निवेशकों ने स्वरोजगार स्थापित करने के उद्देश्य से बैंक से ऋण लेकर यह रकम अदा की थी।

उनका कहना है कि अगर उन्हें आरोपियों की मंशा का पता होता तो वे कभी निवेश नहीं करते।

पुलिस से न्याय की गुहार

पीड़ितों ने पुलिस से इस मामले को संज्ञान में लेते हुए उचित कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

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