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लच्छीवाला जंगल में “एक्सपायरी दवाओं के जखीरे” से खतरे की जताई जा रही आशंका

There is apprehension of danger due to “stock of expired medicines” in Lachhiwala forest
नेक्स्ट इवोल्यूशन ऑफ वर्ल्ड वेलफेयर सोसाइटी के हरप्रीत सिंह द्वारा 23 जनवरी को जिला अधिकारी देहरादून को बाकायदा एक पत्र लिखते हुए अवधि पार (एक्सपायरी) व प्रतिबंधित दवाइयों को खुले में देखने के संबंध में अवगत कराया गया है.
यूके तेज को उपलब्ध इस पत्र की सॉफ्ट कॉपी में जिलाधिकारी कार्यालय की रिसीविंग भी दिखाई पड़ रही है.
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रजनीश प्रताप सिंह तेज

देहरादून : क्या लिखा है शिकायत ही पत्र में ?

नेक्स्ट इवोल्यूशन ऑफ वर्ल्ड वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हमारी संस्था के एक सदस्य को लच्छीवाला टोल प्लाजा से देहरादून की ओर जाते हुए 500 मीटर आगे की ओर हाईवे से लगे हुए जंगल के किनारे पर खुले में एक बड़ी मात्रा में

कोटेक हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड रुड़की,

विंडलास बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड मोहब्बेवाला,

ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड सेलाकुई ,

टॉरेंट फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड सिक्किम ,

सूरीन फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड तमिलनाडु ,

प्रेसिस केमी फार्मा प्राइवेट लिमिटेड तेलंगाना,

एमएसएन प्राइवेट लिमिटेड तेलंगाना

की दवा एवं इंजेक्शन की वाइल जिन को खुले में फेंका गया था.

जिनके संपर्क में आने से मनुष्य ,जानवर और पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो सकते हैं.

हमारी संस्था द्वारा इन सभी प्रतिबंधित एवं अवधि पार दवाइयों के निस्तारण के लिए Medical Pollution Pollution Control Committee मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी को सूचित किया गया.

जिसके उपरांत उन्होंने इन विषैली दवाइयों को एकत्रित कर निस्तारण के लिए भेजा.

हमारी संस्था के सदस्यों के द्वारा कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों से इन विषैली दवाओं के बारे में जानकारी ली गई तब नाम ना खोलने की शर्त पर उन्होंने हमें बताया कि इनमें से अधिकांश दवाइयां तो बिना चिकित्सक के परामर्श पर्चे के बेचना एनडीपीसी के नियमानुसार गैरकानूनी है.

उन्होंने हमें यह भी बताया कि इन दवाइयों के संपर्क में आने से एनीमिया ,लिवर डिजीज ,सांस लेने में दिक्कत एवं गर्भवती महिलाओं को गर्भपात हो सकता है.

चिकित्सक के अनुसार इन दवाइयों के वातावरण में फैलने से वातावरण एवं छोटे बच्चों को काफी नुकसान हो सकता है.

चिकित्सक के अनुसार इन दवाइयों को कम उम्र के नौजवानों और बच्चे नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं.

इस पत्र में कहा गया है कि इन दवाइयों में भारी मात्रा में नींद की भी दवाइयां थी जिनको कोई भी शरारती तत्वों द्वारा गलत उपयोग में लाया जा सकता था.

पत्र में अनुरोध किया गया है कि खुले में फेंकी जा रही दवाइयों से संबंधित निर्माता कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कहा गया जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं से होने वाली गंभीर दुर्घटनाओं को होने से रोका जा सके.

क्या बताया यूके तेज को हरप्रीत सिंह ने ?

संस्था के हरप्रीत सिंह ने बताया कि लगभग 7 जनवरी को उन्होंने सबसे पहले इस संदर्भ में कोर कमेटी से बात की जिसमें स्वयं हरप्रीत सिंह, कांता ,रोहित और राहुल शामिल हैं.

उनके द्वारा Chief Medical Officer चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) देहरादून को इसकी जानकारी दी गई जिसके बाद मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (एमपीसीसी) ने मौके पर पहुंचकर निस्तारण के लिए इन फेंकी गई दवाओं को एकत्रित किया.

इस घटना के बाद 12 जनवरी को गश्त कर रहे कांता ने देखा कि बड़ी मात्रा में दोबारा दवाई के डब्बे पेन किलर, डायबिटीज ,ब्लड क्लॉट्स, गर्भनिरोधक गोलियां इत्यादि जंगल में सड़क किनारे पड़ी हुई थी.

चिंता जाहिर करते हुए हरप्रीत सिंह ने कहा कि इन दवाइयों के इस प्रकार खुले में पड़े रहने से हवा ,जल और मिट्टी के माध्यम से वातावरण में घुल जाने की आशंका है जिसके कई बड़े दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं.

हरप्रीत सिंह का दावा है कि आज भी बड़ी मात्रा में ये दवाएं लच्छीवाला के जंगल में डोईवाला से देहरादून की दिशा में मणि माई मंदिर से लगभग 100 मीटर आगे पड़ी हुई हैं जो किसी भी खतरे का कारण हो सकती हैं.

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