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( Priyanka Saini )
देहरादून : उत्तराखंड क्रांति दल उत्तराखंड ने किसानों की समस्याओं का लंबे समय से कोई हल ना निकाले जाने पर किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है।
इसी कड़ी में आज उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं ने देहरादून में वन विभाग के मुख्यालय में जाकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।
उत्तराखंड क्रांति दल ने वन विभाग को एक सप्ताह का समय देते हुए कहा कि वह एक सप्ताह के अंदर खेतों को नुकसान पहुंचा रही जल्दी सूअरों को मारने के लिए मंजूरी दे दे वरना
उत्तराखंड क्रांति दल के साथ मिलकर उत्तराखंड के किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
ज्ञापन देने के साथ इस समस्या पर उत्तराखंड क्रांति दल का पहले वन मुख्यालय पर ही धरना प्रदर्शन करने का ऐलान था
लेकिन अधिकारियों से सकारात्मक वार्ता के चलते धरना प्रदर्शन एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया।
उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि जंगली सूअर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।
जंगली सूअरों को मारने की परमिशन उत्तराखंड सरकार की हीला हवाली और
असंवेदनशीलता के चलते खत्म हो गई है।
और इस परमिशन को उत्तराखंड सरकार ने अभी तक दोबारा से रिन्यू नहीं किया है।
उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय संगठन मंत्री संजय बहुगुणा ने कहां कि जंगली जानवरों के नुकसान के चलते किसान फसल उगाना छोड़ रहे हैं।
जंगली सूअर, भालू, बंदर, के साथ ही बाघ गुलदार आदि के खौफ के चलते लोग खेती करने से विमुख हो रहे हैं।
लेकिन उत्तराखंड सरकार और आयोग भी इसको लेकर जरा भी चिंतित नहीं है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड क्रांति दल में राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन को भी अपना समर्थन दिया है।
साथ ही कहा कि उत्तराखंड के किसानों की समस्या पंजाब, हरियाणा के किसानों से बिल्कुल अलग है
किंतु सरकार के नकारात्मक रवैये के कारण फसलें तो बर्बाद हो ही रही है।
किसानों का माल्टा तथा सेब भी पेड़ों पर ही पड़ रहा है।
जंगली सूअरों के चलते बर्बाद हुई फसल को गंध के कारण पालतू पशु भी नही खा पाते।
इन जंगली जानवरों के कारण किसान तबाह हो रहा है।
उत्तराखंड क्रांति दल की युवा मोर्चा की जिला अध्यक्ष सीमा रावत ने ज्ञापन के माध्यम से यह भी मांग की कि जंगली जानवरों के हमलों में शिकार हुए घायल तथा मृतकों को मुआवजा राशि बढ़ाकर दोगुनी की जाए।
सीमा रावत ने कहा कि वर्तमान में मुआवजा बिल्कुल नाकाफी है।
उत्तराखंड क्रांति दल ने वन विभाग को दिए ज्ञापन में साफ-साफ अल्टीमेटम दिया है
कि सरकार तथा अफसर किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लें
अन्यथा एक सप्ताह में किसानों की इन समस्याओं को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।