भूलकर भी हल्के में ना ले “निंद्रा रोग” हो सकता है खतरनाक : एम्स ऋषिकेश

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( PRIYANKA SAINI )
देहरादून : मरीज के लिए नींद ना आना महज एक संदेह नहीं
बल्कि एक खतरनाक बीमारी के रूप में हो सकता है।
एम्स ऋषिकेश ने निंद्रा रोगों पर रिसर्च और मरीजों के
उचित उपचार के लिए कई तरह के प्रयास किए हैं।
निंद्रा रोगियों के उपचार के लिए एवं निदान के लिए
एम्स ऋषिकेश में 3 बेड की लेवल वन स्लीप लैबोरेट्री भी बनाई गई है।
जो 2019 से कार्यरत है।
इस लैबोरेट्री में 2019 से अब तक 100 से अधिक मरीज अपना इलाज करवा चुके हैं।
संस्थान में वन स्लिप क्लीनिक अलग से बनाया गया है
जो प्रत्येक बृहस्पतिवार को खुलता है।
एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि निंद्रा रोग बेहद आम है।
लिहाजा हल्के में ना लें
नींद ना आने से मरीज को ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, डायबिटीज,
एक्सीडेंट व डिप्रेशन से ग्रसित हो सकता है।
वह समय रहते इलाज के बाद इस बीमारी से ठीक हो
सकता है।
कितने प्रकार का होता है निंद्रा रोग?
निद्रा रोग कई तरह के होते हैं, निद्रा रोग कई लक्षणों के साथ आ सकते हैं।
सबसे ज्यादा पाए जाने वाला निद्रा रोग अनिद्रा ( insomnia) है।
इससे प्रभावित व्यक्ति को नींद आने में परेशानी होती है या नींद आकर टूट जाती है
और फिर दोबारा नींद आने में काफी समय लगता है
अथवा रोगी की सुबह जल्दी नींद खुल जाती है।
इसके अलावा इन रोगियों को गहरी नींद भी नहीं आती।
अनिद्रा रोग के कई कारण होते हैं एवं उचित उपचार के लिए कारण को पकड़ना बेहद जरुरी है।
दूसरा निद्रा रोग स्लीप एपनीया (ओएसए )है।
इसका एक सामान्य लक्षण खर्राटे आना है।
इस रोग में व्यक्ति की सांस, सोते समय कुछ कुछ अंतराल पर रुकती रहती है।
जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
दिन में थकान, चिड़चिड़ापन रहता है।
इसमें रोगी व्यक्ति को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है
एवं याददाश्त की कमजोरी आ जाती है।
अतिनिद्रा या बहुत ज्यादा नींद आना भी निद्रा रोग का लक्षण है।
इसके शिकार रोगी रातभर सोने के बाद भी स्वयं को तरोताजा महसूस नहीं करते हैं
एवं दिन में इन्हें नींद की जरुरत पड़ती है।
यह रोग कई कारणों से हो सकता है जैसे नार्कोलेप्सी आदि।
इसके अतिरिक्त नींद में बोलना, चलना, दांत पीसना, पेशाब कर देना,
सपनों में डर जान आदि भी निद्रा रोग के लक्षण हैं।
इन सभी रोगों से पीड़ित व्यक्ति यह सहसूस करते हैं कि उन्हें अच्छी नींद नहीं आती,
नतीजतन यह सभी रोगी इस बीमारी की दवा तो लेते हैं मगर ठीक नहीं हो पाते।
इंसेट निद्रा रोगों का उचित उपचार नहीं लेने पर बढ़ जाती है
इन रोगों के होने की संभावना
1-हाई बी.पी. 2. हृदय रोग 3. डाईबिटीज 4. लकवा
5- याददाश्त की कमी 6-पेट के रोग 7-वजन का बढ़ना
8-शारीरिक क्षमता में कमी 9.दुर्घटना (एक्सीडेंट ) ।
कैसे किया जाए निद्रा रोगों का निदान –
उपचार से पूर्व इनका उचित निदान आवश्यक है।
रोगी निद्रा रोग विशेषज्ञ से मिले एवं अपनी समस्या के बारे में उनसे विस्तार से चर्चा करें।
एम्स के डॉक्टर लोकेश कुमार सेनी ने बताया कि हो सकता है कि निद्रा रोग विशेषज्ञ
मरीज को स्लीप डायरी भरने के लिए कहे।
यह मरीज के रोग को और बेहतर ढंग से पकड़ने में मददगार साबित होगा।
आपकी समस्या को समझने एवं आपकी शारिरिक जांच के बाद आपको कुछ टेस्ट कराने को भी कहा जा सकता है।
निद्रा रोग को पकड़ने के लिए किए जाने वाले टेस्ट मरीज के रोग की प्रकृति पर निर्भर करते हैं।
इसके लिए सामान्य रूप से किए जाने वाले टेस्ट निम्नलिखित होते हैं।
पॉलीसोग्नोग्राफी-
इसके द्वारा नींद के दौरान शरीर में होने वाली गतिधियों का अध्ययन किया जाता है।
यह जांच चार प्रकार की होती है।
लेवल वन-
इसमें ईईजी (दिमाग की तरंगों का अध्ययन), ईओजी आंखों की गतिविधि ,
ईएमजी (शरीर की मांसपेशियों की गतिविधि) , सांस का प्रवाह छाती व पेट की गतिविधि,
ईसीजी ( हृदय की कार्यविधि), शरीर की अवस्था, हार्ट रेट, खर्राटों की रिकॉर्डिंग,
पल्स ऑक्सीमीटरी (शरीर में ऑक्सीजन का स्तर ) नींद के दौरान रातभर मापते हैं ।
साथ ही पूरी रात वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाती है।
यह स्टडी नींद की लगभग सारी बीमारियों को पकड़ने में सहायक सिद्ध होती है।
एक स्लीप टेक्नीशियन लगातार रिकॉर्डिंग पर नजर रखता है
ताकि यदि कोई तार निकल जाए तो उसे लगा दिया जाए।
लेवल 2-
इसमें उपरोक्त सभी पैरामीटर रिकॉर्ड किए जाते हैं,
किंतु स्लीप टेक्नीशियन साथ नहीं होता।
इसमें रात के समय तार-लीड निकल जाने पर पूरा डाटा नहीं मिल पाता ।
लेवल 3-
यह जांच अक्सर घर पर की जाती है
एवं इससे कुछ ही प्रकार के निद्रा रोगों क स्क्रीनिंग संभव है।
इसमें श्वांस का प्रवाह, छाती व पेट की गतिविधि एवं शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा रिकॉर्ड की जाती है।
अन्य पैरामीटर नहीं होने से यह केवल ओएसए को पकड़ सकती है।
चूंकि इसमें यह नहीं मालूम पड़ता कि व्यक्ति सो रहा है या नहीं ( क्योंकि ईईजी रिकॉर्ड नहीं होती )
लिहाजा यह केवल सीएसए की स्क्रीनिंग कर सकती है।
लेवल 4-
इसमें पूरी रात केवल शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा रिकॉर्ड की जाती
यह भी ओएसए की केवल स्क्रीनिंग कर सकती है।
उपचार विधि
निद्रा का उपचार कई प्रकार से होता है, जो रोग की प्रकृति पर निर्भर करता है।
सामान्यत: अनिद्रा का उपचार व्यवहार चिकित्सा (सीबीटी ) से होता है।
इसमें मरीज को नींद की दवाई बहुत ज्यादा जरुरत पड़ने पर ही दी जाती है।
सीबीटी में रोगी की भागीदारी अति आवश्यक है।
यह अनिद्रा के समाधान की धीमी मगर एक कारगर प्रक्रिया है,
जिसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
कुछ अन्य निद्रा रोग जैसे आर.एल.एस., नार्कोलेप्सी में सीबीटी के साथ दवाई आवश्यक होती है।
किंतु यह दवाई नींद की दवाई से अलग होती है।
ओएसए के उपचार में जीवन पद्धति में बदलाव के साथ ही सीपीएपी मशीन दी जा सकती है,
कुछ मामलों में स्लीप-सर्जरी कीआवश्यकता पड़ सकती है,
लिहाजा ऐसी स्थिति में जरुरी है कि इस तरह के लक्षणों से
ग्रसित कोई भी व्यक्ति निद्रा रोग को हल्के में नहीं ले और उसके प्रति लापरवाही नहीं बरते,
निद्रा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें एवं समय रहते
अपने उपचार को लेकर गंभीर हों व अपने उपचार को आगे आएं।