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देहरादून : स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी (SRHU) के हिमालयन हाॅस्पिटल,बाल रोग विभाग की ओर से नवजात शिशुओं में होने वाली डायबिटीज विषय पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में नवजात शिशुओं में बढ़ते डायबिटीज लक्षण, चुनौतियों व समाधान पर वक्ताओं ने चर्चा की।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता लाला लाजपत राय मेडिकल काॅलेज मेरठ के बाल रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. विजय जयसवाल ने डायबीटीज की विभिन्न रूपो की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं से लेकर 14 साल तक के बच्चों में डायबिटीज के लक्षणों में मोटापा, ज्यादा प्यास लगना जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।
हिमालयन अस्पताल के बालरोग विभागाध्यक्ष डाॅ. अल्पा गुप्ता ने गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज से भ्रूण में होने वाले शाररिक विकारों के बारे बताया।
उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के शुरूवाती दिनों में मां के ब्लड शुगर का सामान्य होना आवश्यक है।
डाॅ. अल्पा गुप्ता का कहना है कि अगर मां में गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज पाया जाता है तो उसका इलाज करवाना आवश्यक है इससे हम बच्चे को डायबीटिज से बचा सकते हैं।
एसआरएचू के मेडिसिन विभाग से डाॅ अनीता शर्मा ने कहा कि अनियमित जीवन शैली की वजह से बच्चे डायबिटीज की चपेट में आ रहे।
ऋषिकेश एम्स के बाल रोग विभाग से डाॅ. श्रीपार्ण ने कहा कि बच्चों को डायबिटीज से बचाने के लिए संतुलित आहार, वजन में नियंत्रण, जंक फूड से परहेज व शाररिक व्यायाम को बढ़ावा देना है।
डाॅ. नेहा अग्रवाल ने डायबिटीज की रोकथाम पर चर्चा की।
डाॅ. राकेश शर्मा ने इनसुलिन थेरेपी पर चर्चा की।
इस अवसर डाॅ. विजेंद्र चैहान, डाॅ. रेनू धस्माना, डाॅ. सुनील सैनी, डाॅ. मुस्ताख अहमद, डाॅ. एसएल जेठानी, डाॅ. रेशमा कौशिक, डाॅ. राकेश कुमार व डाॅ. नेहा अग्रवाल उपस्थित थे।