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( हेल्थ ) “मैजिक बुलेट” एंटीबायोटिक दवा के बेजा इस्तेमाल से हो सकते हैं ‘खतरनाक परिणाम’

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देहरादून : अ​खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)

ऋषिकेश में वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबेल एवरनैस वीक के तहत

लोगों को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से एंटीबायोटिक के दुरुपयोग से होने वाले शारीरिक नुकसान को लेकर जागरुक किया जाएगा।

एंटीबायोटिक्स की समझ है जरुरी :–

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं के उचित उपयोग को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है,

क्योंकि बिना किसी वैज्ञानिक आधार के इनका अत्यधिक उपयोग / दुरुपयोग हानिकारक परिणाम दे सकता है।

कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण की प्रगति को कम करने के लिए अस्पताल में की जाने वाली सभी प्रक्रियाओं के दौरान यूनिवर्सल प्रिकॉशन का पालन करना चाहिए।

बैक्टीरिया बन रहे हैं रेसिस्टेंट :–

क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर प्रतिमा गुप्ता ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (जीवाणुनाशक प्रतिरोध) को लेकर सभी को जागरुक करते हुए बताया कि यह एक वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है।

जिसका मुख्य कारण यह है कि दवाई का या तो बहुत ज्यादा या बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है।

जो हमारे शरीर में बैक्टीरिया को प्रतिरोधक बना देते हैं I

लिहाजा लोगों को इसके सही इस्तेमाल पर जागरुक करते हुए उन्होंने बताया कि वर्षों पुरानी “मैजिक बुलेट”का मैजिक बरकरार रहने दें और एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की रोकथाम में सभी आगे आएं I

क्या होगा जब हथियार (Antibiotics)  का विकल्प ही न बचे :—

डीन नर्सिंग प्रो. सुरेश कुमार शर्मा ने सभी नर्सों से शपथ लेने का अनुरोध किया कि हम निश्चितरूप से बिना चिकित्सक के परामर्श से दी गई

एंटीमाइक्रोबॉयल दवाओं के उपयोग को हतोत्साहित करेंगे और हमेशा सही खुराक, सही माध्यम और सही अवधि तक देंगे I

क्लिनिकल फार्माकॉलेजिस्ट प्रोफेसर शैलेंद्र शंकर हाण्डू ने बताया कि एंटी माइक्रोबियल्स संक्रमण से लड़ने के लिए हमारे हथियार हैं,

लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इन दवाओं के सही उपयोग नहीं होने से यह प्रतिरोध का कारण बन गया है I

उन्होंने प्रतिरोध का मुख्य कारण लोगों में जनजागरुकता के अभाव को बताया और साथ ही कहा कि लोग खुद से बिना किसी परामर्श के दवाई का सेवन कर रहे हैं

और अगर यह प्रक्रिया इसी प्रकार चलती रही तो वह दिन दूर नहीं, जब किसी भी संक्रमण को रोकने के लिए हमारे चिकित्सकों के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा I

लिहाजा सभी को किसी भी संक्रमण के उपचार के लिए योग्य स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा दी गई दवाइयों का ही सेवन करना चाहिएI

गौरतलब है कि दुनिया में एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग के मद्देनजर इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से वर्ष 2015 से नवंबर माह में वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबेल एवरनैस प्रोग्राम का आयोजन किया जाता है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइलेशन ने इसी साल से इसे (18 से 24 नवंबर) वीक के तौर पर मनाने का निर्णय लिया है।

इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजक डॉ. पीके पांडा, डीन नर्सिंग प्रोफेसर सुरेश कुमार शर्मा, कॉलेज ऑफ नर्सिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर मनीष शर्मा, डॉ. राखी मिश्रा, नर्सिंग ट्यूटर मिस प्रिया शर्मा, मिस हेमलता आदि मौजूद थे।

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