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सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सुधांशु धूलिया ,आचार्य बालकृष्ण सहित लेखक गांव महोत्सव में पहुंचे कईं दिग्गज

Many stalwarts including Supreme Court Justice Sudhanshu Dhulia, Acharya Balkrishna reached the Writer Village Mahotsav.

 

 

देहरादून 26 अक्टूबर 2024 (रजनीश प्रताप सिंह तेज) : स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024 के दूसरे दिन “योग,आयुर्वेद और संगीत की स्वास्थ्य में भूमिका” पर कार्यक्रम आयोजित किया गया

इस कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलपति आचार्य बालकृष्ण ,नाड़ी विज्ञान के विशेषज्ञ डॉक्टर लक्ष्मी नारायण जोशी, संगीत की स्वास्थ्य में भूमिका के विशेषज्ञ डॉक्टर विजय भट्ट ,पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक मुख्य रूप से उपस्थित रहे

सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बाँधा समां

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय,हिमालयीय यूनिवर्सिटी के छात्रों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गयी

उत्तराखंड के जीतू बगड्वाल पर एक नृत्य नाटिका का भी मंचन किया गया

पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्रों ने संगीतमय योग पर प्रस्तुति दी

नाड़ी विज्ञान की स्वास्थ्य में भूमिका

डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने बताया कि नाड़ी विज्ञान सिद्धांत सुचारू- रक्त आपूर्ति,तंत्रिका कार्य और प्राण आपूर्ति पर निर्भर करता है

उन्होंने बताया कि नाड़ी विज्ञान के द्वारा शरीर की कई व्याधियों का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है

भारतीय नाड़ी विज्ञान सिद्धांत को लेकर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण जोशी अब तक दुनिया में 1000 से अधिक कार्यशालाएं कर चुके हैं

संगीत की स्वास्थ्य में भूमिका

संगीत से स्वास्थ्य उपचार के विशेषज्ञ डॉक्टर विजय भट्ट ने संगीत की भूमिका पर अपनी बात साझा की

उन्होंने बताया कि संगीत द्वारा व्याधियों का उपचार कोई नई बात नहीं है

सामवेद के 6ठे और 7वें में मंत्र में रोग-शोक का निवारण बताया गया है

रोगों के उपचार में संगीत अत्यधिक प्रभावशाली है

डॉ भट्ट ने कहा कि विशेष तौर पर आज का युवा वर्ग तनाव और डिप्रेशन में जा रहा है

जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर, हार्टबीट का बढ़ना, हार्ट फैलियर जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं

कुछ मामलों में तनाव के चलते आत्महत्या तक की घटनाएं हो रही है

एक अच्छे स्वास्थ्य में संगीत की सबसे बड़ी भूमिका है

संगीत हमारे शरीर में डोपामाइन हार्मोन की निकासी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

यह हैप्पी हार्मोन जीवन में आनंद और खुशी लाता है

व्यक्ति को सर्जनात्मक कार्य के लिए उत्साहित करता है

उन्होंने कार्यक्रम के दौरान मंच पर दक्षिण भारत के राग हंसध्वनि की प्रस्तुति दी

डॉक्टर भट्ट ने बताया कि इस राग के सुनने से व्यक्ति डिप्रेशन से बाहर आ सकता है

धनवंतरी धाम की होगी स्थापना

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हिमालय की तलहटी में डॉक्टर निशंक की संकल्पना से लेखक गांव अस्तित्व में आया है

जहां रचना, सृजन ,नवाचार और नूतनता से दुनिया भर का साहित्य और अधिक समृद्ध होगा

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लेखक सृजनधर्मा होता है

यदि ऋषियों ने लिखा न होता तो हम विद्यावान,संस्कारवान नहीं हो पाते

जब ऋषियों ने ईश्वरीय वाणी को लिखा तो हमें वेद प्राप्त हुए

उन्होंने कहा कि डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने लेखक गांव के रूप में एक अद्भुत प्रयास किया है

जो साहित्य के क्षेत्र में आवश्यकता और उपादेयता को पूरी करेगा

जो जल्द ही वैश्विक पटल पर दिखाई देगा

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लेखक गांव में गृह वाटिका और नक्षत्र वाटिका स्थापित की गई है

उन्होंने कहा कि अगले 6 माह के भीतर यहां पर धनवंतरी धाम भी स्थापित किया जाएगा

सत्र: “संविधान, भारतीय भाषाएं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020”

स्पर्श हिमालय महोत्सव के दूसरे दिन के एक और महत्वपूर्ण सत्र में “संविधान, भारतीय भाषाएं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020” पर गहन संवाद हुआ।

इस सत्र के मुख्य अतिथि, भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने प्रेरणादायक विचार साझा किए।

मुख्य वक्ता अतुल कोठारी (सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, राजस्थान) ने मातृभूमि और माँ की महत्ता पर जोर दिया

और शिक्षा में भारतीय मूल्यों की आवश्यक भूमिका को रेखांकित किया।

राजेश कुमार पाण्डेय (वरिष्ठ शासकीय अधिवक्ता, उत्तर प्रदेश) ने संविधान और शिक्षा की प्रासंगिकता पर विचार प्रस्तुत किए।

सत्र का स्वागत भाषण विदुषी निशंक ने दिया और अध्यक्षता प्रो. सी. राजकुमार (कुलपति, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय) ने की।

इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने दिया,

जिन्होंने अतिथियों और उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया।

अन्य महत्वपूर्ण सत्र: पर्यावरण और साहित्य पर विशेष चर्चा

इस आयोजन में “पर्यावरण और साहित्य” तथा “संस्कृति, प्रकृति और साहित्य” पर भी विशेष सत्र आयोजित किए गए,

जिसमें विशेषज्ञों ने विचार साझा किए और साहित्य एवं पर्यावरण के आपसी संबंधों को रेखांकित किया।

स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 का यह आयोजन हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने और युवाओं को साहित्य, संस्कृति एवं कला के प्रति प्रेरित करने का एक सशक्त माध्यम बन रहा है।

एक सत्र पर्यावरण पर आयोजित किया गया,

जिसमें यूकॉस्ट के महानिदेशक दुर्गेश पंत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे

और कल्याण मैती ने अध्यक्षता की।

कल्याण मैती ने कहा कि पर्यावरण के बारे में सीखने के लिए हमें अपने शास्त्रों की ओर लौटना चाहिए।

डीजी श्री पंत ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यावरण के प्रति काम करने की एक समृद्ध परंपरा है।

मुख्य अतिथि प्रो. सत्यकेतु सांकृत (अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली) ने पर्यावरण और साहित्य के गहरे संबंधों पर अपने विचार प्रस्तुत किए

उत्तरखण्ड हाइकोर्ट के न्यायधीश राजेश थपलियाल पहुंचे लेखक गांव ।

कार्यक्रम में डॉ सविता मोहन ,पुरुषोत्तम डोभाल,रविन्द्र बेलवाल,ईश्वर चंद्र अग्रवाल,संतोषी बहुगुणा,विमल नैथानी,पंकज शर्मा,मनीष मनवाल आदि मौजूद रहे ।

इसके अतिरिक्त, हिंदी सीखने वाले विदेशी छात्रों के लिए भी एक सत्र आयोजित किया गया,

जिसमें छात्रों ने अपने विचार साझा किए और अपनी कविताएं भी प्रस्तुत कीं।

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