(कोरोना से जंग) उत्तराखंड में हो सकेगी ‘प्लाज्मा थेरेपी’, 6 व्यक्तियों ने दी ‘प्लाज्मा डोनेशन’ की सहमति

सटीक,विश्वसनीय और निष्पक्ष न्यूज़ के लिए
रजनीश सैनी द्वारा संचालित न्यूज़ वेब चैनल
‘यूके तेज़’ से जुड़ें व्हाट्सएप्प करें 8077062107
देहरादून : कोविड -19 महामारी वर्तमान में मानव जाति की
सबसे बड़ी दुश्मन बन चुकी है, जिसके खिलाफ संपूर्ण विश्व लड़ रहा है।
ऐसे में कोरोना से ठीक हुए व्यक्तियों का प्लाज्मा
इसके रोगियों के इलाज में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
(AIIMS) कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है।
एम्स ने आज एक परामर्श सत्र का आयोजन किया जिसमें
कोरोना के गंभीर रोगियों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के बारे में विस्तार से बताया गया।
कोविड संक्रमण से उबरे एम्स के एक चिकित्सक और 5 नर्सिंग ऑफिसर
ने जरूरतमंद मरीजों को प्लाज्मा डोनेशन के लिए अपनी सहमति दी है।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि
संक्रमित होकर स्वस्थ हुए व्यक्ति में निर्मित एंटीबॉडी,
एक रोगी में सक्रिय वायरस को बेअसर कर देगा,
साथ ही उसकी रिकवरी में तेजी लाने में मदद करेगा।
ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड ब्लड बैंक विभागाध्यक्ष डा. गीता नेगी ने कहा कि
कोई भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति जो नेगेटिव आ चुका हो,
वह नेगेटिव आने के 28 दिन बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
जिसके लिए एक एंटीबॉडी टेस्ट किया जाएगा तथा रक्त में एंटीबॉडी का लेवल देखा जाएगा।