हिमालयी क्षेत्रों के विकास पर केंद्रित ‘गंगधारा: विचारों का अविरल प्रवाह’ कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
'Gangdhara: continuous flow of ideas' program focused on the development of Himalayan regions was launched
देहरादून,21 दिसंबर 2024 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : हिमालयी क्षेत्रों की चुनौतियों और विकास के विषय पर केंद्रित एक दो दिवसीय व्याख्यान माला ‘गंगधारा: विचारों का अविरल प्रवाह’ का शुभारंभ शनिवार को दून विश्वविद्यालय में हुआ।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने किया।
हिमालयी क्षेत्रों के संतुलित विकास पर जोर
Chief Minister Pushkar Singh Dhami ने अपने संबोधन में हिमालयी क्षेत्रों में इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हिमालयी क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है
और जल्द ही भू-कानून लाने और जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार दून विश्वविद्यालय में जल्द ही सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज पर कोर्स शुरू करने जा रही है।
भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों पर जोर
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने भारतीय संस्कृति के चिरंतन प्रवाह पर अपने विचार रखे।
उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों की चुनौतियों के साथ-साथ पारिवारिक मूल्यों पर भी मंथन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन तेज हो रहा है,
लेकिन हमें अपने मांगलिक कार्यों के लिए गांवों का रूख करना चाहिए।
विचारों के आदान-प्रदान पर जोर
देवभूमि विकास संस्थान के संरक्षक, पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यक्रम की प्रस्तावना को सामने रखा।
हिमालयी सरोकारों को लेकर एक अविरल चलने वाले कार्यक्रम का उनका सपना था,
जिस पर काम शुरू कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि लोगों के सहयोग से इसके लिए कारपस फंड तैयार किया गया है,
जिससे इसके लगातार आयोजन में आर्थिक दिक्कत नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि लोगों के सुझाव जानने के लिए पांच पर्यवेक्षकों को भी जिम्मेदारी दी गई है, ताकि कार्यक्रम भविष्य में और बेहतर हो।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज विवाह जैसी संस्था प्रभावित हो रही है और रिश्ते बहुत जल्द टूट रहे हैं,
उसे देखते हुए प्री वैडिंग काउंसलिंग के कार्यक्रम करने पर भी विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दून विश्वविद्यालय के डा नित्यानंद सभागार में ही इस आयोजन को हम करना चाहते थे,
क्योंकि डा नित्यानंद ने हिमालय के अभूतपूर्व सेवा की है।
कार्यक्रम का उद्देश्य
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिमालयी क्षेत्रों के विकास के लिए नए विचारों और दृष्टिकोणों को सामने लाना है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से हिमालयी क्षेत्रों की समस्याओं पर चर्चा की जाएगी
और उनके समाधान के लिए नए रास्ते खोजे जाएंगे।
यह कार्यक्रम क्यों महत्वपूर्ण है?
हिमालयी क्षेत्र भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है और यहां कई महत्वपूर्ण नदियां निकलती हैं।
हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से भी प्रभावित हो रहा है।
ऐसे में इस क्षेत्र के विकास के लिए नए विचारों और दृष्टिकोणों को सामने लाना बहुत जरूरी है।
‘गंगधारा: विचारों का अविरल प्रवाह’ कार्यक्रम हिमालयी क्षेत्रों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से हिमालयी क्षेत्रों की समस्याओं पर चर्चा की जाएगी
और उनके समाधान के लिए नए रास्ते खोजे जाएंगे।
कार्यक्रम का संचालन डा हरीश पुरोहित ने किया।
देवभूमि विकास संस्थान की मेन ट्रस्टी कृति रावत, सचिव सतेंद्र नेगी, डा दीपक भट्ट के अलावा नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक प्रो आरसी डंगवाल, प्रो आरती ममगाईं, डा डीसी नैनवाल आदि इस मौके पर उपस्थित थे।
संस्था की ओर से आयोजकों को प्रतीक चिन्ह भेंट किए गए।
इससे पहले, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम स्थल पर लगाए गए विभिन्न स्टालों का निरीक्षण किया।
ट्रांस ब्रिज स्कूल के बच्चों ने मांगल व गंगा गीत की सुंदर प्रस्तुति दी।