( अनूठी पहल ) बेहतर गुणवत्ता वाली रेत बाजार मूल्य के लगभग 90% सस्ती दर पर होगी उपलब्ध
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( PRIYANKA SAINI )
> कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने ओवरबर्डन से बहुत ही सस्ती कीमत पर रेत का उत्पादन करने वाली अनूठी पहल की शुरूआत की
> इससे पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने में मदद मिलेगी और निर्माण कार्य के लिए सस्ती रेत प्राप्त करने का एक विकल्प मिलेगा
> रेत के उत्पादन की शुरूआत पहले ही की जा चुकी है और अगले पांच वर्षों के लिए रोडमैप तैयार है
> पांच वर्ष में आठ मिलियन टन रेत का उत्पादन करने का लक्ष्य है
> वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) ने सबसे पहले इस पहल की शुरूआत की
> यह नदी तल से रेत खनन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है
नई दिल्ली : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने ओवरबर्डन से बहुत ही सस्ती दर पर रेत का उत्पादन करने के लिए अनूठे पहल की शुरूआत की है।
इससे न केवल ओवरबर्डन से रेत गाद के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने में सहायता मिलेगी, बल्कि निर्माण कार्य के लिए सस्ती रेत प्राप्त करने का एक विकल्प भी प्राप्त होगा।
इस प्रयास से न केवल समाज को बड़े पैमाने पर सहायता प्राप्त होगी बल्कि नदी तल से रेत खनन में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।
रेत उत्पादन की शुरूआत पहले ही की जा चुकी है और सीआईएल के अंतर्गत विभिन्न कोयला उत्पादक कंपनियों से रेत का उत्पादन अधिकतम करने और निकट भविष्य में रेत के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक बनने के लिए अगले पांच वर्षों का रोडमैप तैयार किया गया है।
क्या होता है ओवरबर्डन ?
कोयले की खुली खुदाई के दौरान, कोयले की परत के ऊपर के स्तर को ओवरबर्डन के रूप में जाना जाता है, जो मिट्टी के जलोढ़ रेत और बलुआ पत्थर के साथ समृद्ध सिलिका सामग्री से युक्त होता है।
नीचे से कोयला निकालने और छांटने के लिए ओवरबर्डन को हटाया जाता है।इसको कुचलकर, छानकर और साफ करके बालू में परिवर्तित किया जा सकता है।
इस प्रकार के रूपांतरण की शुरूआती पहल सीआईएल की एक सहायक कंपनी, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) द्वारा की गई है।
प्रारंभ में एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई थी जिसमें विभागीय रूप से खड़ी मशीनों के माध्यम से रेत निकाली गई थी।
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के अंतर्गत कम लागत वाले मकानों का निर्माण करने के लिए नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को बहुतही सस्ती कीमत पर यह रेत ऑफर की गई है।
बेहतर गुणवत्ता के साथ इस रेत की कीमत बाजार मूल्य का लगभग 10% है।
परियोजना की भारी सफलता और सस्ते रेत की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए, डब्ल्यूसीएल द्वारा नागपुर के पास देश की सबसे बड़ी रेत उत्पादन संयंत्र को चालू करके वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया गया है।
इस यूनिट में प्रतिदिन 2500 घनमीटर रेत का उत्पादन होता है, जो बाजार मूल्य का लगभग आधा है।
इस प्लांट से उत्पादित किए गए रेत का बड़ा हिस्सा सरकारी इकाइयों जैसे एनएचएआई, एमओआईएल, महाजेनको और अन्य छोटी इकाइयों को बाजार मूल्य की एक तिहाई दर पर प्रदान किया जा रहा है।
बाकि बचे हुए रेत को बाजार में खुली नीलामी के माध्यम से बेचा जा रहा है जिससे स्थानीय लोगों को बहुत ही सस्ती दर पर रेत की प्राप्ति हो रही है।
ओवरबर्डन का उपयोग होने से ओवरबर्डन डंप के लिए आवश्यक भूमि की मात्रा में भी कमी आई है। इस पहल से नदी तल से रेत खनन के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभावों में भी कमी आयी है।
डब्ल्यूसीएल द्वारा एनएचएआई एवं अन्य को सस्ती दर पर सड़क निर्माण करने के लिए भी ओवरबर्डन बेची जा रही है।
डब्ल्यूसीएल ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में दो नए संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है, वर्ष के अंत तक इनके चालू होने की संभावना है।
इस प्रयास में, सीआईएल का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में अपनी विभिन्न कोयला उत्पादक सहायक कंपनियों में 15 प्रमुख रेत संयंत्रों को चालू करके रेत उत्पादन के स्तर को लगभग 8 मिलियन टन तक पहुंचना है।
चालू वित्त वर्ष के अंत तक, सीआईएल की परिकल्पना 15 में से 9 संयंत्रों में लगभग तीन लाख घन मीटर का उत्पादन करना है।