DehradunHealthNationalUttarakhand

ब्रेन डेड हुये कांवड़िये के अंगदान से 3 लोगों की जिंदगी लौटी वापस

Brain dead Kanwariya's organ donation brings back life of 3 people

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज़ ) : Brain dead Kanwariya’s organ donation brings back life of 3 people उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान All India Institute of Medical Sciences में ब्रेन डेड Brain dead घोषित एक युवक के अंगदान के माध्यम से तीन लोगों की जिंदगी वापस लौटी है

युवक की कॉर्निया को भी सुरक्षित किया गया है जिससे दो व्यक्तियों के जीवन में रोशनी हो सकेगी

यह 25 वर्षीय युवक श्रावण मास में कांवड़ लेकर हरिद्वार आया था

Brain dead Kanwariya’s organ donation brings back life of 3 people

उत्तराखंड का पहला मामला

25 वर्षीय सचिन के कोमा में जाने के बाद जब वापस आने की उम्मीद नहीं बची

तो एम्स ऋषिकेश के डाॅक्टरों ने उसके परिजनों से अंगदान की अपील की।

परिवार वाले राजी हुए और ब्रेन डेड इस युवक के अंगदान का फैसला लिया गया।

प्रक्रिया के बाद सचिन के अंगदान से न केवल 3 लोगों की जिंदगी वापस लौटी है

अपितु दृष्टि खो चुके 2 अन्य लोग भी अब सचिन द्वारा किए गए नेत्रदान से जीवन का उजियारा देख सकेंगे।

नवीनतम मेडिकल तकनीकों के आधार पर नित नए अध्याय लिख रहे एम्स ऋषिकेश में

‘केडवरिक ऑर्गन डोनेशन‘ की यह सम्पूर्ण प्रक्रिया पहली बार हुई है जो पूर्ण तौर से सफल रही।

उत्तराखंड में यह पहला मामला 

महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) के रहने वाले सचिन को 23 जुलाई को रूड़की मे हुई सड़क दुर्घटना के बाद गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि

सचिन के सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उन्हें ट्राॅमा सेन्टर के न्यूरो सर्जरी आईसीयू में रखा गया

लेकिन कोमा में चले जाने के कारण इलाज कर रहे विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी द्वारा उन्हें 30 जुलाई को ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

इन्हें मिला नया जीवन

डॉक्टर्स के मुताबिक सचिन के अंगदान से दो अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती 3 लोगों को नया जीवन मिला है।

इनमें पीजीआई चण्डीगढ़ में भर्ती 1 व्यक्ति को किडनी और पेन्क्रियाज

तथा दिल्ली स्थिति इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एण्ड बिलरी साईंसेज (आई.एल.बी.एस.) में भर्ती 2 अलग-अलग व्यक्तियों को किडनी और लिवर प्रत्यारोपित किए गए हैं।

कांवड़ लेकर आया था सचिन, फरिश्ता बनकर आई फैमिली

श्रावण मास में शिवालय में जल चढ़ाने की महत्ता के चलते सचिन हरियाणा से कांवड़ लेकर जल भरने हरिद्वार के लिए निकला था।

इस दौरान 23 जुलाई को रूड़की में वह सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया।

उसके पिता की टायर पंचर की दुकान है।

परिवार में पिता के अलावा उनकी पत्नी, 2 बच्चे और एक छोटा भाई है।

वह अपने पिता के साथ दुकान में हाथ बंटाया करते थे।

एम्स के डाॅक्टरों ने जब परिवार वालों से अंगदान कराने हेतु अपील की

तो सचिन के परिवार वाले उन लोगों के लिए फरिश्ते की भूमिका निभायी

जिन्हें सचिन के विभिन्न अंग प्रत्यारोपित किए गए।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!