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हरेला पर दिलकश शायरी से काव्य-रस में डूबा देहरादून, सजाई गयी भव्य कवि संध्या

Dehradun was immersed in the poetic essence of the charming poetry on Harela, a grand kavi evening was organized

  • कलम साधना ने हरेला पर कवि सम्मेलन किया
  • दुबई के शायर तारीफ नियाजी हुए सम्मानित
  • हरेला को पर्यावरण सुरक्षा पर्व बताया गया
  • कवियों ने हरेला पर दिलकश शायरी सुनाई
  • जन्मदिन व पुस्तक विमोचन भी हुआ आयोजन में

     

    देहरादून,17 जुलाई 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : साहित्यिक संस्था “कलम साधना फाउंडेशन” द्वारा मसूरी रोड स्थित दा प्रॉमिनेन्स सभागार में हरेला पर्व के पावन अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन किया गया

    इस मनमोहक संध्या में साहित्यकारों और प्रकृति प्रेमियों का संगम देखने को मिला, जहाँ शब्दों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सद्भाव का संदेश दिया गया

    इस विशेष अवसर पर दुबई से पधारे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर तारीफ नियाजी को भी सम्मानित कर उनका अभिनंदन किया गया.

    गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाई शोभा 

    रासबिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के उप-कुलपति डॉ. प्रोफेसर हिमांशु एरन, फिल्म एक्ट्रेस इंद्राणी पांधी, सुभारती हॉस्पिटल की विभाग अध्यक्ष डॉ. अनुभा अग्रवाल, जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर कुमार विजय द्रोणी, जानी-मानी लेखिका व कवियित्री अरुणा वशिष्ठ, उत्तराखंड उर्दू अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर अफजल मंगलौरी, शिक्षाविद व संस्था अध्यक्ष धनंजय उपाध्याय ‘रहबर’ और कवि भूपेंद्र बसेड़ा जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हरेला पर्व के महत्व पर अपने विचार रखे.

    उन्होंने इस त्योहार को पर्यावरण सुरक्षा का अनुपम प्रतीक और देश का एक अनोखा व महत्वपूर्ण उत्सव बताया.

    संस्था के संरक्षक सुशांत नायक और आनंद चौहान ने दुबई से आए अतिथि शायर तारीफ नियाजी, मुख्य अतिथि डॉ. हिमांशु एरन, फिल्म एक्ट्रेस इंद्राणी पांधी सहित सभी विशिष्ट अतिथियों व कवियों को शाल व सम्मान चिन्ह भेंट कर उनका हार्दिक अभिनंदन किया.

    कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रोफेसर प्रमोद भारतीय और संस्था के महासचिव व शायर प्रोफेसर अफजल मंगलौरी ने संयुक्त रूप से किया, जबकि इस काव्य संध्या की अध्यक्षता शायर असलम खतौलवी ने की.

    काव्य-रस में सराबोर हुई ‘कलम साधना काव्य संध्या’

    ‘कलम साधना काव्य संध्या’ में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

    सामाजिक विषयों, वीर रस और श्रृंगार रस की कविताओं के साथ-साथ, अधिकांश कवियों ने हरेला पर्व पर केंद्रित अपनी दिलकश शायरी से सभागार के वातावरण को खुशनुमा और जीवंत बना दिया.

    वरिष्ठ कवि-शायर जसवीर हलधर ने प्रकृति प्रेम का संदेश देते हुए पढ़ा:

    “करें हम धरती का सिंगार !
    हरेला हम सब का त्यौहार !”

    दुबई से पधारे शायर तारीफ नियाज़ी ने अपनी गहरी बात यूं रखी:

    “तू कहाँ मेरी बात समझेगा !
    तेरे सर पर सवार है दुनिया !”

    प्रोफेसर अफ़ज़ल मंगलौरी ने समसामयिक व्यंग्य में फरमाया:

    “हैं नेताओं की चांदी, रोज़ धनवर्षा की बेला है !
    सियासत में जिधर देखो, हरेला ही हरेला है !”

    एडवोकेट असलम खतौलवी ने शब्दों में यूं दर्द बयान किया:

    “किसी ने संग भी भेजे हैं, मुझको फूल के साथ !
    मेरे उसूल भी तोड़े, बड़े उसूल के साथ !”

    संस्था के अध्यक्ष व शायर धनंजय उपाध्याय “रहबर” ने अर्ज किया:

    “खुदा तेरी अजब रहमत, गज़ब की ये कहानी है !
    बदन में कैद सांसे हैं, बड़ी ये बेईमानी है !”

    शायर रईस अहमद खान “फिगार” ने अपनी बुलंद आवाज़ में फरमाया:

    “बन के सूरज निकल रहा हूँ मैं !
    क्यों अंधेरों को खल रहा हूं मैं !”

    जीएसटी के जॉइंट कमिश्नर व कवि कुमार विजय द्रोणी ने अपनी मधुर पंक्तियाँ पढ़ीं:

    “ज़िन्दगी यूँ ही जिए जा रहा हूँ मैं !
    नाम उनका लिए जा रहा हूं मैं !”

    इनके अलावा, कवियित्री अरुणा वशिष्ठ, डॉ. अनुभा अग्रवाल और अनीता जगदीश ने भी अपने मनमोहक काव्य पाठ से श्रोताओं का दिल जीता.

    जन्मदिन का उल्लास और पुस्तक का विमोचन

    इस अवसर को और भी खास बनाते हुए, कवियित्री डॉ. अनुभा अग्रवाल का जन्मदिन अनूठे अंदाज़ में मनाया गया.

    उन्हें शुभकामनाएं देते हुए पेड़ लगाकर और केक काटकर इस खुशी को साझा किया गया.

    साथ ही, कवियित्री अरुणा वशिष्ठ की नई पुस्तक “मित्र संस्मरण” का भी भव्य विमोचन किया गया, जो साहित्यिक जगत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था.

    कार्यक्रम के अंत में, संस्था संरक्षक सुशांत नायक ने सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, कवियों और श्रोताओं का हृदय से आभार व्यक्त किया.

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