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ग्राफ़िक एरा ने सुभाष चंद्र बोस को समर्पित “सुभाष स्वराज सरकार” शोध प्रतियोगिता की शुरू

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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’

देहरादून : नैनीताल : ग्राफिक एरा पर्वतीय विश्वविद्यालय के भीमताल परिसर में सुभाष चंद्र बोस को समर्पित सुभाष स्वराज सरकार शोध प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ।

इस प्रतियोगिता का उद्देश्य नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के अनछुहे ऐतिहासिक पहलुओं को शोध के माध्यम से उजागर करना है। जिसमें देश भर के विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी प्रतिभाग करेंगे ।

विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ कमल घनशाला, दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ सुरेखा डंगवाल, भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर व उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ ओ पी एस नेगी ने इस शोध प्रतियोगिता के पोस्टर का विमोचन किया।

समारोहके मुख्य वक्ता मुकुल कानिटकर ने इस अवसर पर छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने का आह्वान करते हुए सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर प्रकाश डाला।

मुकुल कानिटकर ने सुभाष चंद्र बोस द्वारा रंगून में युद्ध बंदियों के समक्ष दिए भाषण का चित्रण करते हुए कहा कि अगर उस दिन वह स्वंय वहां होते तो देश के लिए किस प्रकार का चिंतन करते। उन्होंने बताया कि उस समय देश के लिए मरना आवश्यक था परंतु वर्तमान युग में राष्ट्र के लिए जीना आवश्यक है।

उन्होंने आवाहन किया की भारत को विश्व गुरु बनाने हेतु युवाओं को आगे आना पड़ेगा और शोध रूपी तप को ही साधन मानकर कार्य करना पड़ेगा। क्योंकि शोध ही सर्वश्रेष्ठ साधन है।

उन्होंने शोध के माध्यम से राष्ट्र को सशक्त शिक्षित बनाने हेतु विभिन्न गतिविधियां और योजनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया तथा शोध का भाव जागृत करने के लिए युवाओं को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया उन्होंने कहा कि शोध ही आत्मनिर्भर भारत का महत्वपूर्ण आधार होगा।

ग्राफिक एरा ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष प्रो. (डॉ) कमल घनशाला ने नेता जी के योगदान को याद करते हुए कहा कि सुभाष चन्द बोस के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को सुलझाने के लिए शोध ही सबसे बड़ा माध्यम हो सकता है।

दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ सुरेखा डंगवाल ने आजाद हिंद फौज से संबंधित विषयों पर वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों की नीव हिला कर रख दी थी और उनके द्वारा उस विषम परिस्थिति में भी फौज के गठन तथा प्रबंधन जैसे उत्कृष्ट कार्य से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने हेतु युवाओं को आगे आकर तथा बढ़-चढ़कर इस शोध प्रतियोगिता में भाग लेना चाहिए। उन्होंने सभा में उपस्थित श्रोताओं को जड़ से जगत तक जुड़े रहने की भी अपील की।

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओ पी एस नेगी ने युवाओं को प्रेरित करते कहा कि उन्हें अपने संसाधनों का प्रयोग करते हुए भारतीयता को दृष्टि में रखते हुए शोध पत्र लेखन का कार्य नियमित करना चाहिए।

विमोचन समारोह में विश्वविद्यालय के भीमताल परिसर के निदेशक प्रो मनोज लोहानी, भारतीय युवा आयाम के सह प्रमुख अनिल रावत, प्रो महेश मनचंदा एव अक्षुन गायकवाड़ के साथ शिक्षक और छात्र छात्राए उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन प्रो सन्दीप विजय ने किया।

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