हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के नियोनेटोलॉजी विभाग की ओर से एक दिवसीय पेरीनेटल मीट का आयोजन किया गया। जिसमें नवजात शिशु की मृत्यु दर को कम करने के विषय में चर्चा की गयी.
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देहरादून : नियोनेटोलॉजी विभाग, नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम ऑफ इंडिया, फेडरेशन ऑफ ओब्स्टेट्रिक एंड गायनेकॉलोजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया व यूनिसेफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पेरीनेटल मीट में नवजात शिशु के गर्भकाल और जन्म के उपरांत होने वाले कई समस्याओं के बारे में चर्चा की गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुये डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज डॉ. मुश्ताक अहमद ने कहा कि आपसी सामंजस्य एवं उपलब्ध उपचार के बेहतर इस्तेमाल से नवजात शिशु की मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है।
नवजात शिशु विभाग से डॉ. गिरीश गुप्ता की अध्यक्षता में एनएनएफ इंडिया के डॉ. दिनेश तोमर और डॉ. सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने नवजात शिशु को कम सुविधाओं के साथ बचाने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।
डॉ. चिन्मय और डॉ. सैकत ने गर्भनाल प्रबंधन और समय पर जन्म के बारे में जानकारी दी।
डॉ. रूचिरा नौटियाल की अध्यक्षता में डॉ. इनाज मुश्ताक, डॉ. नीतू तोमर, ने गर्भकाल के दौरान शिशु की निगरानी एवं बचाव की जानकारी दी।
डॉ. बानिश्री एवं डॉ. आरती शर्मा ने जेनेटिक काउंसलिंग और स्टीरॉयड की उपयोगिता के बारे में बताया।
इसके अतिरिक्त कम वजन के बच्चों में पीडियाट्रिक और गैनिकोलॉजी की साझा चर्चा में डॉ. राजलक्ष्मी मुंधरा डॉ. सुरभि सिंह, डॉ. सनोबर वसीम डॉ. राकेश कुमार ने जानकारी दी।
कार्यक्रम में डॉ. राजीव श्रीवास्तव, डॉ. यशवंत सिंह बिष्ट, डॉ. पूर्णिमा उप्रेती, डॉ. यासिर अहमद लोन, डॉ. राधिका रतुड़ी, डॉ. रश्मि राजपूत, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. सुनीता त्यागी, डॉ. गरिमा, डॉ. अंकित, डॉ. हरित शैलेंद्र, डॉ. सूरज, सिस्टर माधुरी, मधुबाला सहित 50 लोगों ने भागीदारी ली।