NationalSportsWorld

एक दिन में दो स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक के साथ भारत के लिए पैरालंपिक पदकों की जीत का क्रम रहा बरकरार

वेब पत्रकारिता के विश्वसनीय नाम
“यूके तेज” से जुड़ें
वाट्सएप्प करें 8077062107
अवनि लेखरा निशानेबाजी में पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली इतिहास की पहली भारतीय महिला बनीं
सुमित अंतिल ने पुरुषों की भाला फेंक (एफ 64) प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता
देवेंद्र, सुंदर और योगेश टारेगट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टीओपीएस) का हिस्सा रहे हैं

नई दिल्ली : एक दिन में एक नहीं बल्कि पांच पदकों की जीत के साथ भारत के लिए यह सोमवार शानदार रहा है।

भारत की अवनि लेखरा देश के लिए निशानेबाजी में पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली इतिहास में पहली भारतीय महिला बन गईं।

 सुमित अंतिल ने पुरुषों की भाला फेंक (एफ64) प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।

इसके साथ ही एथलेटिक्स में भाला फेंक और डिस्कस थ्रो प्रतिस्पर्धाओं में भारत का वर्चस्व बना हुआ है।

रविवार के शानदार प्रदर्शन को आगे बढ़ाते हुए, भारत के प्रसिद्ध भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र ने टोक्यो में अपना तीसरा पैरालंपिक पदक और 64.35 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ एफ46 श्रेणी में प्रतिष्ठित रजत पदक जीता।

देवेंद्र ने भारतीय खेल प्राधिकरण- गांधी नगर में प्रशिक्षण हासिल किया है।

इसके अलावा, राजस्थान के सुंदर सिंह गुर्जर ने 64.01 मीटर के सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया और भारत ने इस प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया।

इस महीने टोक्यो के लिए रवाना होने से पहले, सुंदर ने कहा था कि वह अच्छे फॉर्म में है और वह पदक जीतने के लक्ष्य के साथ टोक्यो पैरालंपिक जा रहे हैं, जिसमें वह रियो ओलंपिक में चूक गए थे।

उन्होंने कहा था, “मैं 2016 से टीओपीएस से जुड़ा रहा हैं और शुरुआत से ही टीओपीएस और साई ने खासा समर्थन किया है, यहां तक कि हाल में वेट रनिंग और एक जैवलीन खरीदने में वित्तीय सहायती की गई। इससे मुझे भाला फेंकने में खासी सहायता मिली। मैं समर्थन का आभारी हूं, जो मुझे उपलब्ध कराया गया है।”

देवेंद्र और सुंदर भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई)के टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टीओपीएस) का हिस्सा रहे हैं और स्पोर्ट्स साइंस सपोर्ट के साथ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं, राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों के लिए सरकार द्वारा वित्तपोषण किया गया है। सुंदर के मामले में प्रोस्थेसिस, उपकरण और कोच शुल्क अनुदान के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई।

दो भाला फेंक खिलाड़ी टोक्यो स्टेडियम में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं पहली बार ओलंपिक पहुंचे योगेश कथूनिया स्टेडियम की दूसरी तरफ दिन का तीसरा पदक सुनिश्चित कर रहे थे।

योगेश ने पुरुषों की डिस्कस थ्रो की एफ56 श्रेणी में 44.38 मीटर के सीजन के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ भारत के रजत पदक जीता और इस प्रतिस्पर्धा में वर्चस्व बनाए रखा।

2017 में डिस्कस थ्रो बैक करने वाले हरियाणा के युवा ने वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप, 2019 में कांस्य पदक जीता था और 1984 के ओलंपिक में जोगिंदर सिंह बेदी द्वारा कांस्य पदक जीतने के बाद डिस्कस थ्रो में पैरालंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए हैं।

देवेंदर और सुंदर की तरह, योगेश भी साई की टीओपीएस पहल का हिस्सा रहे हैं, जिसने योगेश के लिए चार अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में वित्तपोषण किया और स्पोर्ट्स साइंस के समर्थन के साथ राष्ट्रीय कोचिंग शिविर उपलब्ध कराए गए।

सभी तीनों एथलीट्स को टोक्यो पैरालंपिक में पदक का मजबूत दावेदार माना जा रहा था और वह उम्मीदों पर खरे उतरे।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!