उत्तराखंड नये मुख्यमंत्री को लेकर अमित शाह के बाद निशंक के घर बैठक

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बैठक और मंथन का दौर चल रहा है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर इस मुद्दे पर बैठक समाप्त हो चुकी है जिसके बाद रमेश पोखरियाल निशंक के घर उत्तराखंड के नेताओं ने विचार-विमर्श किया है.
> गृह मंत्री अमित शाह के घर उत्तराखंड के सीएम चेहरे पर चला है गहन मंथन
> राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,उत्तराखंड प्रभारी प्रहलाद जोशी,अजय कुमार हैं मौजूद
> पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत,पुष्कर धामी,मदन कौशिक,सतपाल महाराज रहे मौजूद
> पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक भी मंथन बैठक में रहे उपस्थित
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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’
नई दिल्ली : उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री के नाम को लेकर तमाम कयास और अटकलबाजी के दौर के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर मीटिंग समाप्त हो चुकी है. जिसके बाद उत्तराखंड के नेता रमेश पोखरियाल निशंक के घर पहुंचे.
अमित शाह के घर ये रहे मौजूद
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा के अमित शाह,राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष,उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी प्रहलाद जोशी,प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक,प्रदेश संगठन महामंत्री अजय कुमार,पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी,सांसद रमेश पोखरियाल निशंक,विधायक सतपाल महाराज उपस्थित रहे हालांकि सतपाल महाराज इस बैठक से जल्दी बाहर आ गये थे.
निशंक के घर मीटिंग
हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के घर चली मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक,त्रिवेंद्र सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी शामिल हुये.
लगभग एक घंटे की मीटिंग के बाद ही त्रिवेंद्र सिंह रावत और मदन कौशिक निशंक के घर से बाहर आ गये.
रमेश पोखरियाल निशंक और पुष्कर सिंह धामी के बीच वार्ता जारी है.
लंबी रेस के घोड़े की तलाश
भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से 2017 चुनाव में 70 में से 57 विधानसभा सीटों पर जीत का प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद बीते पांच सालों में 3 मुख्यमंत्री बदले.
उस इतिहास को भाजपा दोहराना नही चाहती है.
इसलिए चुनाव परिणाम आने के 10 दिन बाद भी भाजपा सीएम नाम तय नही कर पायी है.
भाजपा को तलाश है एक ऐसे मुख्यमंत्री की जो पुरे पांच साल अपना कार्यकाल पूरा कर सके.
विधायक दल से सीएम
भारतीय जनता पार्टी की पहली कोशिश होगी कि वह प्रचंड बहुमत मिलने के बाद उपचुनाव में जाए बगैर ही मुख्यमंत्री का चयन करे.
इन विधायकों में प्रमुख नाम गढ़वाल से सतपाल महाराज,धन सिंह रावत,मदन कौशिक,प्रेमचंद अग्रवाल के अलावा कुमाऊं से बंशीधर भगत,बिशन सिंह चुफाल हैं.
2022 के विधानसभा चुनाव में महिला वोट का भाजपा की तरफ जाना महत्वपूर्ण है जिसे देखते हुये महिला सीएम के तौर पर ऋतू भूषण खंडूरी का नाम भी चर्चा में है.
सतपाल महाराज एक कद्दावर नेता हैं एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में उनकी देश के कईं राज्यों में पहचान है वह एक पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री भी हैं उन पर भ्रष्टाचार का भी कोई आरोप नही है.
सतपाल महाराज कांग्रेस के उन 9 विधायकों में से एक हैं जो 2016 में भाजपा में शामिल हो गये थे कांग्रेस बैकग्राउंड का होना ही उनका सबसे कमजोर पहलू है.
श्रीनगर विधायाक धन सिंह रावत का नाम पहले भी सीएम के लिये चर्चा में रहा है 2022 विधानसभा चुनाव में बेहद कम अंतर से चुनाव जीतना उनके खिलाफ जाता है.
कोटद्वार विधायक ऋतू भूषण खंडूरी दूसरी दफा चुनाव जीतकर विधायक बनी हैं लेकिन उनके बिना पहले मंत्री बने सीधे मुख्यमंत्री बनने के आसार कम ही नजर आते हैं.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और हरिद्वार विधायक मदन कौशिक के गृह जनपद हरिद्वार की 11 विधानसभा में से भाजपा के खाते में मात्र तीन सीट ही आयी हैं कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव हार गये हैं इस प्रकार चुनाव में खराब परफॉरमेंस और मैदानी मूल के होने के कारण उनके आसार भी कम ही हैं.
इसी प्रकार ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं उनकी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मजबूत पकड़ है इसलिए वह भी एक दावेदार माने जा रहे हैं.
कुमाऊं की कालाढूंगी विधानसभा से विधायक बंशीधर भगत को विधानसभा अध्यक्ष बनाये जाने की चर्चा है इसलिए वो इस सीएम की दौड़ से बाहर हैं.
पिथौरागढ़ की डीडीहाट विधानसभा से लगातार चुनाव जीतते आ रहे बिशन सिंह चुफाल का नाम भी रेस में शामिल है.
विधायक दल से बाहर
भारतीय जनता पार्टी इस विकल्प का इस्तेमाल मज़बूरी में कर सकती है क्यूंकि इसके लिये भाजपा को दो सीटें खाली करनी होगी साथ ही दो उपचुनाव भी करवाने होंगें.
जिसका जनता में गलत संदेश जायेगा क्यूंकि जब जनता ने प्रचंड बहुमत भाजपा के पक्ष में दे दिया है तो फिर उपचुनाव का मतलब जनादेश के विपरीत जाना होगा.
इसमें प्रमुख नाम सांसद अनिल बलूनी,केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट,सांसद रमेश पोखरियाल निशंक,कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी का नाम शामिल है.
अनिल बलूनी राष्ट्रीय मीडिया के साथ बेहतर तालमेल के लिए वर्षों से जाने जाते हैं ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें उत्तराखंड भेजा जाना आसान नही होगा.
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट उत्तराखंड में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उनका नाम मुख्यमंत्री के तौर पर चल रहा था लेकिन वो रानीखेत विधानसभा से चुनाव हार गये थे जिस तरह से उत्तराखंड भाजपा में फिलहाल कुमाऊं के नेताओं का दबदबा चल रहा है अजय भट्ट एक महत्वपूर्ण नाम है.
पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक एक व्यवहार कुशल नेता के तौर पर जाने जाते हैं वह सबको साथ लेकर चलने के लिये जाने जाते हैं 2022 के चुनाव में उत्तराखंड की पांच लोकसभा में से हरिद्वार लोकसभा जहां से निशंक सांसद हैं परफॉरमेंस खराब रही है.
कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा से चुनाव हार गये यही उनके खिलाफ माना जा रहा है वह सात हजार से अधिक वोटों के अंतर से चुनाव हारे हैं यदि उन्हें सीएम बनाया जाएगा तो कपकोट से चुनाव लड़ाया जा सकता है लेकिन पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में विधायक लामबद्ध नजर नही आ रहे हैं भले ही पांच-छह विधायकों ने उनके लिए अपनी सीट खाली करने की बात कही हो लेकिन अधिकतर विधायकों ने चुप्पी साधी हुई है.
इस विषय पर अंतिम निर्णय अमित शाह और नरेंद्र मोदी को करना है.