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( हेल्थ ) 7 में से 1 भारतीय मानसिक रोगी,”विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस” पर एम्स,ऋषिकेश में हुई संगोष्ठी

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देहरादून : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 के अवसर पर

“सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य : अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच”

विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें बताया गया कि मानसिक स्वास्थ्य विश्वव्यापी बीमारी है,जिसके मद्देनजर वर्ष-1992 से विश्वभर में हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

यह बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है कि मानसिक बीमारी विश्वव्यापी है। मगर यह भारत में अधिक महत्वपूर्ण है, जहां हाल ही में एक मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि

7 में से 1 भारतीय जो देश की कुल आबादी के लिहाज से लगभग 20 करोड़ भारतीय हैं, किसी न किसी रूप से मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं।

मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2016 के अनुसार, इनमें से औसतन 60% रोगियों को मानसिक बीमारी का कोई उपचार नहीं मिल पाता है।

बताया गया है मानसिक बीमारियों में चिंता विकार, डिप्रेसिव डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर, साइकॉटिक डिसऑर्डर और सब्सटेंस यूज्ड डिसऑर्डर शामिल हैं, जिनमें से सब्सटेंस यूज्ड डिसऑर्डर सबसे आम बीमारी है।

हालांकि, सब्सटेंस यूज्ड डिसऑर्डर के लिए उपचार प्राप्त करने वाले रोगियों का अनुपात सबसे कम है, इनमें से महज 15 प्रतिशत से भी कम रोगियों को उपचार प्राप्त हो पाता है।

यही वजह है कि मानसिक बीमारी और पदार्थ उपयोग विकार के लिए उपचार संसाधनों की इस कमी को ध्यान में रखते हुए

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने वर्ष- 2020 के विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को “सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य: अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच’’ थीम के साथ मनाने का फैसला किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस विषय को ध्यान में रखते हुए, एम्स ऋषिकेश ने अस्पताल में पिछले एकसाल में सब्सटेंस यूज्ड डिसऑर्डर के उपचार की सुविधा को भी बढ़ाया है।

विशेषज्ञों के अनुसार ड्रग्स का उपयोग आज के समाज में एक बड़ी चुनौती है। ड्रग्स में ओपिओयडकैनबिस (जैसे-भांग, गांजा, चरस, हैश), ओपियॉइड् (जैसे-अफीम, हेरोइन, ट्रामाडोल, प्रॉक्सीवोन), उत्तेजक / हैलुसिनेन्स (जैसे कोकीन, एम्फ़ैटेमिन, मेथमफेटामाइन, एलएसडी) और शामक / कृत्रिम निद्रावस्था / सम्मोहक / कृत्रिम निद्रावस्थाएं शामिल हैं। इनमें अल्प्राजोलम, डायजेपाम, लॉराज़ेपम आदि शामिल हैं।

इन दवाओं का सेवन ज्यादातर मौखिक, सांस के मार्ग से किया जाता है, लेकिन इन्ट्रावीनस मार्ग से भी इसका सेवन किया जा सकता है। उत्तरार्द्ध बहुत खतरनाक है, क्योंकि यह एचआईवी, हेपेटाइटिस -बी और सी जैसे गंभीर रोगों का कारण बन सकता है।

अंतः शिरामार्ग गंभीर है क्योंकि अधिकता से मरीज की तात्कालिक मृत्यु हो सकती है। इसकेअलावा एलएसडी और मेथामफेटामाइन जैसी दवाओं का सेवन भी मस्तिष्क की अपरिवर्तनीय क्षति का कारण बन सकता है।

उत्तराखंड राज्य में नशीली दवाओं के उपयोग का परिदृश्य गंभीर है, वजह नशीली दवाओं का उपयोग प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक है।हालांकि, सामाजिक कलंक और नशे की लत के कारण उपचार की मांग बहुत कम है, जिसे एक नैतिक विफलता माना जाता है।

लेकिन एकबार इलाज के लिए लाए जाने के बाद रोगी के स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है। लिहाजा हमें पदार्थ के उपयोग के सामान्य लक्षणों के बारे में जागरुक होने की आवश्यकता है।

• स्वस्थ व्यक्ति में अत्यधिक उनींदापन
• चलने में अचानक खिसकनाया झुकाव होना
• हाल ही में व्यवहार में परिवर्तन
• आंखों में लाली
• शरीर से अजीब किस्म की बदबू आना और व्यक्तिगत स्वच्छता में कमी का होना

इस अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद्मश्री प्रोफेसर डा. रवि कांत ने कहा कि वर्ष- 2020 के लिए डब्ल्यूएचओ की थीम ‘मानसिक स्वास्थ्य में निवेश में वृद्धि’ के बाद, एम्स ऋषिकेश ने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित ड्रग ट्रीटमेंट सेंटर (डीटीसी) परियोजना विकसित की है।

इस परियोजना के तहत सभी आधुनिक उपचार, अनुभवी चिकित्सक और दवाएं वर्तमान में संस्थान में शराब से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए उपलब्ध हैं।

देहरादून : “विश्व मानसिक स्वास्थ्य” दिवस पर एम्स,ऋषिकेश में हुई संगोष्ठी

जिनमें अधिकांश दवाएं मरीजों को मुफ्त में दी जाती हैं। निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि शराब और नशीली दवाओं की समस्या से जूझ रहे मरीज डीटीसी हेल्पलाइन नंबर- 7456897874 पर ( सोमवार से शुक्रवार सुबह 8-30 से सांय 5-30 बजे और शनिवार को सुबह 8.30 बजे से 2 बजे तक ) दूरभाष संपर्क कर सकते हैं, साथ ही हेल्पलाइन सेवाओं पर विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह के अनुसार मरीज अस्पताल आ सकते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार एम्स ऋषिकेश द्वारा भेजे गए एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ अलग-अलग नशामुक्ति की शुरुआत हो। यह डब्ल्यूएचओ को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक निवेश करने का एक वास्तविकता बना देगा।

इस संबंध में एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डा. रवि गुप्ता व नशे की लत के विशेषज्ञ डा. अनिरुद्ध बसु ने बताया कि नशीली दवाओं और शराब का सेवन बड़ी समस्या है।

मादक द्रव्यों के सेवन या लत को वर्तमान में मस्तिष्क तंत्रिका सर्किट का एक विकार माना जाता है, जो प्रतिकूल पारिवारिक या सामाजिक परिस्थितियों से बिगड़ जाता है। इसकी बड़ी युवा आबादी और उच्च बेरोजगारी के कारण युवा विशेषरूप से कमजोर हैं।

इसके अलावा अब यह वैज्ञानिक रूप से साबित हो गया है कि नशीली दवाओं का सेवन का इलाज में भी मधुमेह और उच्चरक्तचाप जैसी क्रोनिक बीमारियों की तरह लगातार उपचार की जरूरत होती है। इसमें हर मरीज का इलाज उसके लक्षणों के आधार पर किया जाता है और केवल कुछ को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।

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