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क्यूं बेअसर हो रही एंटीबायोटिक्स ? 150 से ज्यादा फैकल्टी कर रही एसआरएचयू में विचार-मंथन

 

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : दुनिया के लिए गंभीर समस्या बन रही Antimicrobial Resistance ‘एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस’ ( यानि इंफेक्शन से लड़ने वाली ज़रुरी दवाओं का बेअसर होना ) के निराकरण के लिए Swami Rama Himalayan University स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट में विशेषज्ञ मंथन कर रहे।

देशभर के Research Scholor रिसर्च स्कॉलर, छात्र-छात्राओं सहित 150 से ज्यादा फैकल्टी प्रतिभाग कर रहे हैं।

शुक्रवार को स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट के आदि कैलाश सभागार में  Research and Development Cell रिसर्च एंड डेवलेपमेंट सेल की ओर से आयोजित ‘एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध- अनुसंधान प्राथमिकताएं और कार्य योजना’ ‘Antimicrobial Resistance- Research Priorities and Action Plan’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

मुख्य अतिथि आईसीएमआर Indian Council of Medical Research के पूर्व महानिदेशक डॉ.वीएम कटोच ने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस आधुनिक चिकित्सा की प्रमुख चिंताओं में से एक है।

अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में यह और घातक हो सकता है।

डॉ.कटोच ने छात्र-छात्राओं सहित शोधार्थियों से आह्वान किया कि वह इस संबंध में ज्यादा से ज्यादा शोध करें, ताकि भविष्य में इससे निपटने के लिए कुछ बेहतर नतीजे तक पुहंच पाएं।

एसआरएचयू के कुलपति डॉ. राजेंद्र डोभाल ने विश्वविद्यालय की ओर से शोध के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो की जानकारी साझा की।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने में वैज्ञानिक समुदाय की भूमिका पर जोर दिया।

एसआरएचयू के महानिदेशक (शैक्षणिक विकास) डॉ. विजेंद्र चौहान ने इस तरह की कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य तभी सही मायने में साकार होगा, जब इस क्षेत्र से जुड़े चिकित्सक व विशेषज्ञ अपने अनुभवों को ज्यादा से ज्यादा साझा करें।

आईसीएमआर में वैज्ञानिक व कार्यक्रम अधिकारी एएमआर डॉ. कामिनी वालिया और एम्स, भोपाल के पूर्व निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से कोविड-19 के बाद के सामाजिक प्रभावों पर प्रकाश डाला।

आयोजन समिति की अध्यक्ष व रिसर्च एंड डेवलेपमेंट सेल के निदेशक डॉ.बिंदू डे बताया कि सेमिनार में देशभर से 150 से ज्यादा रिसर्च स्कॉलर, छात्र-छात्राओं सहित फैकल्टी प्रतिभाग कर रहे हैं।

समारोह के दौरान सम्मेलन पर आधारित स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

गरिमा कपूर के संचालन में आयोजित सम्मेलन में कुलसचिव डॉ.मुकेश बिजल्वाण, डॉ.किरण कटोच, डॉ.अशोक देवराड़ी, डॉ.बरनाली, आयोजन समिति सचिव डॉ.पुरांधी रुपमणि, डॉ.गरिमा मित्तल, डॉ.निक्कू यादव आदि मौजूद रहे।

‘एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस’ क्या होता है ?

एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरासिटिक्स (Antibiotics,Antiviral,Antifungal and Antiparasitics)  –

ये ऐसी दवाएं हैं जिनका उपयोग मुख्य तौर से इंसानों, लाइफस्टॉक और क्रॉप प्रोडक्शन में इन्फेक्शन को रोकने और उनका इलाज करने के लिए किया जाता है,

इसीलिए इन्हें ‘एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस’ कहा जाता है।

असान शब्दों में कहें तो ‘एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस’ का अर्थ है इंफेक्शन से लड़ने वाली ज़रुरी दवाओं का बेअसर हो जाना।

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