Uttarakhand Power Supply Crisis : 48 घंटे बाकी और उत्तराखंड में हो सकता है “बिजली का संकट”
Uttarakhand Power Supply Crisis : उत्तराखंड में
48 घंटे बाद बिजली संकट हो सकता है विद्युत अधिकारी कर्मचारी
संयुक्त संघर्ष मोर्चा अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर एक बार फिर हड़ताल की घोषणा कर चुका है
इसमें मात्र 48 घंटे शेष हैं
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Rajneesh Saini
Uttarakhand Power Supply Crisis :
देहरादून : विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के द्वारा
आज देहरादून में एक प्रेस वार्ता की गई जिसमें मोर्चे के द्वारा
हड़ताल की परिस्थितियों और कारण के बारे में जानकारी दी गई
Uttarakhand Power Supply Crisis :
जुलाई में कईं पावर प्रोजेक्ट हुए थे ठप्प
विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चे के द्वारा इस साल के
जुलाई में भी मध्य रात्रि से हड़ताल शुरू की गई थी
जिसके बाद उत्तराखंड के कईं पावर प्रोजेक्ट से विद्युत का उत्पादन बंद हो गया था
जिसका सीधा असर विद्युत आपूर्ति पर दिखाई दिया था
अन्य विभागों के द्वारा भी ड्यूटी लगाने का विरोध
उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग डिप्लोमा इंजीनियर संघ के द्वारा
मुख्यमंत्री के नाम पत्र जारी कर हड़ताल का समर्थन किया गया है
इसके साथ ही पीडब्लूडी अभियंताओं की ड्यूटी लगाने का विरोध व्यक्त किया गया,
उत्तरांचल पेयजल निगम डिप्लोमा इंजीनियर संघ के द्वारा भी उनके
अभियंताओं की ड्यूटी लगाने का विरोध किया गया|
उत्तरांचल इंजीनियर्स फेडरेशन के द्वारा भी इस विषय में पत्र जारी किया गया है
तथा अप्रशिक्षित अभियंताओं को विद्युत विभाग में
तैनात करने पर विरोध करने का निर्णय लिया गया है|
अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के अध्यक्ष अरुण पांडे,
शक्ति प्रसाद भट्ट द्वारा भी 6 अक्टूबर से होने वाली हड़ताल का पूर्ण समर्थन किया गया|
देश भर के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के समर्थन का दावा
इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने दावा किया है कि पूरे देश के 15 लाख
बिजली कर्मचारी उत्तराखंड के कर्मचारियों के समर्थन में खड़े हैं
यहीं नही जिन राज्यों को प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को ड्यूटी हेतु भेजने के पत्र भेजे गए थे
उनमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल तथा हरियाणा अन्य राज्यों की कर्मचारी
फेडरेशन ने उत्तराखंड में ड्यूटी करने आने से मना कर दिया है|
अनाड़ियों के हाथ में न सौंपे
इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने कहा कि अरबों-खरबों रुपए के पावर प्लांट
संयंत्र,टरबाईन एवं अन्य उपकरण जो राष्ट्र की संपत्ति है उन पर
अप्रशिक्षित कार्मिकों तथा ठेकेदारों से कर्मचारी लाकर कार्य कराना
उनकी जान को जोखिम में डालना तथा राष्ट्रीय संपत्ति को रिस्क में लाने वाली स्थिति है|
प्रबंधन द्वारा गलत बयानी
मोर्चा द्वारा मीडिया के माध्यम से बताया गया कि ऊर्जा निगमों के
प्रबंधन द्वारा गलत बयानी की जा रही है
कर्मचारियों की इन 14 सूत्रीय समस्याओं में कोई भी नई मांग नहीं है
यह वही सुविधाएं हैं जो पूर्वर्ती उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के
समय से विद्युत अधिनियम 2003 रिफॉर्म एक्ट 1999 तथा
अन्य समझौतों के तहत लगातार पांचवें तथा छठे वेतन आयोग में
भी वर्ष 2017 तक मिलती रही हैं
तथा इन को लागू करने पर मात्र लगभग 93 लाख प्रति माह का खर्चा तीनों निगमों पर आता है|
इन पदाधिकारियों ने की प्रेस कांफ्रेंस
पत्रकार वार्ता को मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक,सह संयोजक
राकेश शर्मा, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एंप्लाइज
तथा ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष
इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ,उत्तराखंड अधिकारी शिक्षक समन्वय समिति
के अध्यक्ष अरुण पांडे ,शक्ति प्रसाद भट्ट,उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी
शिक्षक महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक जोशी द्वारा संबोधित किया गया|
इनके अलावा ये रहे उपस्थित
पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद पंत ,
पावर इंजीनियर एसोसिएशन के महामंत्री अमित रंजन ,
विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज सैनी ,
ऊर्जा कामगार संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक बेनीवाल,
विद्युत संविदा संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि, उत्तरांचल बिजली
कर्मचारी संघ के प्रमुख महामंत्री प्रदीप कंसल
विद्युत ऊर्जा आरक्षित वर्ग एसोसिएशन के अध्यक्ष नत्थू सिंह रवि,
प्राविधिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुनील मोगा, पावर लेखा संघ के
अध्यक्ष दिनेश चंद्र ध्यानी, प्रमोद कुमार , सोहन लाल शर्मा ,भानु प्रकाश जोशी उपस्थित रहे।
यह है प्रमुख मांगे
(1) ऊर्जा निगमों में 31.12.2016 तक लागू एसीपी की व्यवस्था यथावत रखी जाए।
(2) वर्तमान तक नियुक्त सभी कार्मिकों की पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए।
(3) ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्यरत संविदा कार्मिकों की नियमितीकरण की कार्यवाही पूरी होने तक तत्काल समान कार्य हेतु समान वेतन महंगाई भत्ते सहित दिया जाए।
(4) नवनियुक्त सहायक अभियंताओं,अवर अभियंताओं एवं तकनीकी ग्रेड- द्वितीय को पूर्व की भांति क्रमश :3,2 और 1 प्रारंभिक वेतन वृद्धि का लाभ देते हुए वेतनमान निर्गत किया जाए।(5) ऊर्जा के तीनों निगमों में सातवें वेतन आयोग के अनुसार कार्मिकों को अनुमन्य विभिन्न भत्तों का रिवीजन अभी तक नहीं हुआ है इस विषय में तत्काल कार्यवाही की जाए।
(6) ऊर्जा के तीनों निगमों में निजी करण की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए अभियंता,अवर अभियंता एवं लेखा संवर्ग में कार्मिकों की नियमित भर्ती की जाए।
(7) ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्ययोजित संविदा कार्मिकों को वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता एवं रात्रि पाली भत्ता दिया जाए।
(8) ऊर्जा के तीनों निगमों में वर्षों से लंबित TG-II से रिक्त अवर अभियंताओं के पदों पर अविलंब पदोन्नति की जाए।
(9) यूजेवीएनएल में लाइन लॉसेस कम करने एवं लक्ष्य से ज्यादा राजस्व वसूली प्राप्त करने पर नियमित रूप से बोनस दिया जाए।
(10) सीधी भर्ती में नियुक्त कार्मिकों को 31.12.2015 तक अनुमन्य वेतनमान ग्रेड पे अनुमन्य किया जाए और संपूर्ण सेवाकाल में एक बार पदोन्नति में शिथिलीकरण का लाभ दिया जाए।
(11) अवर अभियंताओं का ग्रेड वेतन दिनांक 10.01.2006 से 4800 किया जाए।
(12) राज्य के तीनों ऊर्जा निगम का एकीकरण किया जाए।
(13) सेवा नियमावली में किसी भी संवर्ग की सेवा शर्त पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद की सेवा शर्तों से कमतर ना हो।
(14) चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों को तृतीय समयबद्ध वेतनमान अवर अभियंताओं के मूल वेतन 4600 पूर्व की भांति दिया जाए।