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उत्तराखंड में इस “खतरनाक गुलदार” को दी गयी “मारने की अनुमति”

Uttarakhand Forest Department gave final nod for an identified leopard to kill as a last resort who is deemed danger to human life.

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड में मानव जीवन के लिए खतरा बन चुके एक चिन्हित गुलदार को अंतिम विकल्प के तौर पर मारने के लिए वन विभाग ने अनुमति प्रदान कर दी है

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में दो बच्चों पर हमला कर उन्हें एक गुलदार के द्वारा मार डाला गया था

इन घटनाओं में शामिल एक चिन्हित गुलदार को वन विभाग ने मानव जीवन के प्रति खतरा मानते हुये अंतिम विकल्प के तौर पर मारने की अनुमति प्रदान कर दी है

पहली घटना : 11 वर्षीय बालक की मौत

यह बीती 3 फरवरी 2024 की है

शाम लगभग 6:30 से 7:30 के मध्य उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में चरणस्यूं पट्टी पोस्ट खिर्सू के ग्वाड़ गांव में रहने वाले राकेश सिंह के 11 वर्षीय पुत्र अंकित को गौशाला के सामने खेलते समय गुलदार ने उसे पर हमला कर दिया

जिसमें इस 11 वर्षीय अंकित नामक बालक की मृत्यु हो गई

दूसरी घटना : 4 वर्षीय अयान की मौ

इसके एक दिन बाद यानी 4 फरवरी 2024 को फिर गुलदार के हमले का मामला सामने आया

पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर के अंतर्गत ग्लास हाउस रोड पर रहने वाले सलामउद्दीन अंसारी नाम के व्यक्ति के 4 वर्षीय बेटे अयान अंसारी को रात के लगभग 9:00 बजे गुलदार उसके घर के आंगन से उठाकर लगभग 20 मीटर तक घसीटते हुए ले गया

इस घटना पर अयान के परिवार वालों और आसपास के लोगों द्वारा जब शोरगुल करते हुए इस बालक को गुलदार के चंगुल से छुड़वाने की कोशिश की गई

तब भी गुलदार ने काफी समय तक बालक को नहीं छोड़ा

इस घटना में अयान अंसारी की मृत्यु हो गई

दोनों घटनाओं को लेकर वन विभाग अलर्ट

डीएफओ के अनुसार वन विभाग की गश्ती टीम ने रात के करीब 2:00 बजे दोबारा इस गुलदार को घटनास्थल पर देखा

डीएफओ ने इस मामले में प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव/ मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से तत्काल गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने और जरूरत पड़ने पर ट्रैंक्युलाइज करने की अनुमति ली

आबादी के लिए खतरा बना गुलदार

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के द्वारा बताया गया की रात में गश्ती दल को गुलदार के गुर्राने की आवाज लगातार सुनाई दे रही है

जिससे गुलदार के इस क्षेत्र में बने रहने की पुष्टि हो रही है

क्योंकि दोनों घटनाएं शाम के समय घटित हुई है

और दोनों घटनाओं के बीच की हवाई दूरी 9.2 किलोमीटर है

घनी आबादी के क्षेत्र में गुलदार के द्वारा इस प्रकार घात लगाकर हमला करना सामान्य व्यवहार नहीं है

दोनों घटना स्थलों के बीच की दूरी और हमला करने की प्रणाली के परीक्षण से दोनों हमले एक ही गुलदार द्वारा किए जाने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है

क्योंकि यह गुलदार पिंजरे में पकड़ में नहीं आया है और ट्रैंक्युलाइज न होने के कारण इस क्षेत्र में दोनों घटनाओं को देखते हुए गुलदार द्वारा पुनः मानव पर हमले किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है

इसके दृष्टिगत प्रभागीय वन अधिकारी ने इस चिन्हित गुलदार को नष्ट करने की अनुमति विभाग से मांगी

गुलदार को नष्ट करने की दी गयी अनुमति

इस मामले में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत प्रभागीय वन अधिकारी गढ़वाल वन विभाग पौड़ी को इस गुलदार को पिंजरा लगाकर पकड़ने और आवश्यकता होने पर ट्रैंक्युलाइज कर पकड़ने के लिए अनुमति दी गई है

विभाग वन विभाग द्वारा कहा गया है कि यह गुलदार मानव जीवन के लिए खतरा हो गया है

ऐसे में जन सुरक्षा विशेष कर बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इस गुलदार को पिंजरा लगाकर पकड़ने और ट्रैंक्युलाइज करने के कहा गया है

यदि गुलदार को पकड़ने के संपूर्ण प्रयासों के उपरांत भी वह पकड़ में नहीं आता है

तो ऐसी दशा में अपरिहार्य परिस्थितियों में जन सुरक्षा विशेष रूप से छोटे बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इस चिन्हित गुलदार को अंतिम विकल्प के रूप में नष्ट करने की अनुमति दी गई है

यह अनुमति आज्ञा जारी होने की एक महीने तक वैध रहेगी

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