उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं को एसआरएचयू में एमएससी एपिडेमियोलॉजी कोर्स प्रवेश में मिलेगी 26 % छूट

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( PRIYANKA SAINI )
कोरोनाकाल में सुनहरा भविष्य बनाने का मौका
-एसआरएचयू में एमएससी एपिडेमियोलॉजी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू
-उत्तर भारत में दिल्ली के अतिरिक्त सिर्फ एसआरएचयू में ही कोर्स की सुविधा
-उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं को मिलेगी 26 फीसदी छूट
देहरादून : एपिडेमियोलॉजी विज्ञान की उस शाखा से संबंधित है, जिसमें संक्रामक रोगों के प्रसार का अध्ययन किया जाता है।
इस क्षेत्र में विशेषज्ञ किसी एक व्यक्ति विशेष नहीं, बल्कि पूरे समुदाय व मानव जाति की रक्षा के लिए काम करते हैं।
उत्तर भारत का एकमात्र संस्थान एसआरएचयू
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एचआईएमएस) में दो वर्षीय एमएससी एपिडेमियोलॉजी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
यह उत्तर भारत का एक मात्र गैर सरकारी विश्वविद्लाय है जहां से छात्र एपिडेमियोलॉजी में मास्टर कर सकते हैं। एपिडेमियोलॉजी या महामारी विज्ञान चिकित्सा विज्ञान का वह क्षेत्र है जिसमें मानव आबादी में रोग और उसके नियंत्रण का अध्ययन किया जाता है।
दुनिया को महामारी के संकट से बचाता है एपिडेमियोलॉजिस्ट
एपिडेमियोलॉजिस्ट एक निश्चित क्षेत्र में एक निश्चित बीमारी कैसे और क्यों हुई, यह निर्धारित करने के लिए और रोग के परिणामों के कारणों पर शोध करते हैं।
फिर वह सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने और भविष्य में होने वाली घटनाओं को रोकने का प्रयास करते हैं।
एपिडेमियोलॉजिस्ट एक वैज्ञानिक है जो संक्रामक रोगों के प्रसार का अध्ययन करता है।
रोजगार की संभावनाएं
इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं है।
हर मेडिकल कॉलेज में एपिडेमियोलॉजिस्ट की जरूरत होती है। इसके अलावा वह सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य संस्थानों, सरकारी एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, दवा व्यवसायों या विश्वविद्यालयों के लिए काम कर सकते हैं।

महामारी विशेषज्ञ विश्व स्वास्थ्य संगठन और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल जैसी सरकारी एजेंसियों में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के रूप में काम कर सकते हैं।
राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी भी एपिडेमियोलॉजिस्ट के लिए नौकरी के अवसर प्रदान करती हैं। महामारी विज्ञान विशेषज्ञ नैदानिक कंपनियों और गैर−सरकारी संगठनों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे ड्ब्ल्यू एच ओ व यूनिसेफ और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के रुप में रोजगार पा सकते हैं। विदेशों में इस कोर्स की बहुत ज्यादा मांग है।
उज्जवल भविष्य व बेहतर आमदनी
एक एपिडेमियोलॉजिस्ट अपने शिक्षा के स्तर, अनुभव व जहां वह काम करते हैं, वेतन प्राप्त करते हैं। 50,000 से 02 लाख प्रति मासिक आसानी से कमा सकते हैं।
प्रवेश के लिए यहां मिलेगी हेल्प
कुलसचिव विनीत महरोत्रा ने बताया कि छात्र-छात्राओं को प्रवेश के लिए किसी भी तरह की परेशानी न हो इसके लिए हेल्प डेस्क बनाई गई है।
ज्यादा जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.srhu.edu.in (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट एसआरएचयू डॉट ईडीयू डॉट इन) पर उपलब्ध है।
इसके अलावा अभ्यर्थी ईमेल admissions@srhu.edu.in या 0135-2471135,
मोबाइल नंबर – +91-8194009631, +91-8194009632, +91-8194009640,
टोल फ्री नंबर 18001210266 पर कॉल या एसएमएस से जानकारी ले सकते हैं।
राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थान में ट्रेनिंग व जॉब प्लेसमेंट
एचआईएमएस के कम्यूनिटी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ.जयंती सेमवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय में एमएससी एपिडेमियोलॉजी में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को देश के नामी संस्थानों में इंटर्नशिप व ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है।
इसमें नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (NIHFW) व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ग्रिड काउंसिल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, सहित आईडीएसपी जयपुर, पीजीआई चंडीगढ़ व लखनऊ सहित विभिन्न नामी संस्थान शामिल हैं। इसके अलावा कुछ छात्र-छात्राओं को जॉब प्लेसमेंट ग्रिड काउंसिल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर में हुआ है।
कौन छात्र-छात्राएं ले सकते हैं प्रवेश
एमबीबीएस, आयुष, फार्मा, डेंटिस्ट्री, नर्सिंग, पैरामेडिकल व ग्रेजुएशन (साइंस) के छात्र-छात्राएं इस कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। यह डिग्री उनके कार्य क्षमता व नेशनल हैल्थ प्रोग्राम में उनकी कुशलता प्रमाणित करने में सहायक होगी।
उत्तराखंड के छात्रों को मिलेगी 26 फीसदी छूट
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय की ओर से उत्तराखंड के निवासी छात्र-छात्राओं के लिए 40 फीसदी सीटें आरक्षित रखी गई हैं। साथ ही ट्यूशन फीस में 26 फीसदी की छूट मान्य होगी।