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सतपाल महाराज ने किया पवित्र छड़ी यात्रा का शुभारंभ

HARIDWAR ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड के चारों धामों सहित समस्त पौराणिक तीर्थस्थलों के प्रचार प्रसार, विकास तथा पलायन रोकने के लिए प्रतिवर्ष निकाली जाने वाली पावन पवित्र छड़ी यात्रा का प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने शुभारम्भ किया

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को श्री पंच दशनाम जूना (भैरव) अखाड़ा पहुंच कर पौराणिक सिद्ध पीठ नगर की अधिष्ठात्री माया देवी मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना कर नगर कोतवाल आनंद भैरव के दर्शन किए।

इस मौके पर श्री महाराज ने पवित्र छड़ी यात्रा की सफलता व राष्ट्र की सुख समृद्धि शांति के लिए प्रार्थना की।

उन्होंने कहा कि तीर्थों की पवित्र छड़ी यात्रा हमारी सनातन परंपरा का प्रतीक है ।

यह परंपरा आद्य जगतगुरु शंकराचार्य महाराज के समय से ही चली आ रही है ।

उत्तराखंड में यह प्राचीन काल से ही बागेश्वर से चलती थी और पूरे उत्तराखंड के सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति का प्रचार करती थी।

कालांतर में मुगलों ने इस पर रोक लगा दी थी

लेकिन जूना अखाड़े ने पुनः इस परम्परा को प्रारंभ कर अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया है।

उन्होंने कहा कि इस पवित्र छड़ी यात्रा से उत्तराखंड के उपेक्षित विस्मृति पौराणिक तीर्थ का विकास तो होगा, साथ ही स्थानीय नागरिकों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे और पलायन पर रोक लगेगी।

इससे पहले जूना अखाड़ा पहुंचने पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरी महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ममहंत रवींद्र पुरी, सचिव महंत महेश पुरी, महंत शैलेंद्र गिरी, उपाध्यक्ष मंहत केदार पुरी ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।

महंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि इस पवित्र छड़ी यात्रा का आज कैबिनेट मंत्री श्री महाराज ने शुभारंभ कर दिया है।

यह छड़ी यात्रा 27 अक्टूबर तक पंचपुरी हरिद्वार में सभी पौराणिक सिद्धपीठों, अखाड़ों, आश्रमों में पूजन हेतु जाएगी।

28 अक्टूबर को हर की पैड़ी पर मां गंगा की पूजा अर्चना के बाद दुग्ध अभिषेक के पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा माया देवी मंदिर प्रांगण से पवित्र छड़ी को उत्तराखंड की यात्रा के लिए रवाना किया जायेगा।

इस अवसर पर महंत शिव दत्त गिरी, महंत पशुपति गिरी, कोठारी महाकाल गिरी पुजारी महंत सुरेशानंद सरस्वती, महंत दीनदयाल गिरि, महंत आकाश पुरी, महंत आदित्य गिरि, महंत भीष्म गिरि, महंत राजेंद्र गिरि, महंत गौतम गिरि, महंत राजगिरी,महंत बलपुरी तथा महंत रतन गिरी सहित बड़ी संख्या में साधु संतों के अलावा स्थानीय नागरिक एवं श्रद्धालु उपस्थित थे।

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