( हेल्थ ) 80 % बिमारियां मन के विकार से उत्पन्न,’ध्यान’ के माध्यम से कर सकते हैं कंट्रोल : डॉ विजय धस्माना

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( PRIYANKA SAINI )
– योग विज्ञान को सिर्फ योगासन तक सीमित न रखें- डॉ.विजय धस्माना
-एसआरएचयू में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर वेबिनार आयोजित
-विशेषज्ञों ने योग विज्ञान के माध्यम से शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के तरीके बताए
-80 फीसदी बिमारियां मन को शांत रख कर ठीक किया जा सकता है- डॉ.विजय धस्माना
देहरादून :अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) में वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार के माध्यम से विशेषज्ञों ने योग के माध्यम से शरीर की इम्यूनिटी को कैसे ठीक रखें इसकी बारीकी से जानकारी दी।
एसआरएचयू के योग विज्ञान एवं समग्र स्वास्थ्य विभाग की ओर से वेबिनार का आयोजन किया गया। कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने योग सिर्फ शरीर का तोड़ना-मरोड़ना नहीं है।

युवाओं में योग को लेकर रूचि तो बढ़ रही है। लेकिन, योग को सिर्फ योगासन तक ही सीमित रखा जा रहा है। जबकि योग एक समग्र विज्ञान है।
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि कोविड काल में हर तरफ नेगेटिविटी है, लेकिन योग इससे उबरने की शक्ति प्रदान करता है।
भय, मानसिक अवसाद, उदासीनता के बीच स्वस्थ मन के साथ कैसे रहें योग यह बताता है। वेबिनार में प्रति कुलपति डॉ.विजेंद्र चौहान ध्यान क्रिया की बारीकी से जानकारी दी।
विभागाध्यक्ष डॉ.सोमलता झा व राहुल बलूनी ने भी व्याख्यान दिया।
80 फीसदी बिमारियां मन के विकार से उत्पन्न
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि साल 1968 में गुरूदेव डॉ.स्वामी राम ने कहा था कि 80 फीसदी शारीरिक बिमारियां मन के विकार से उत्पन्न से होती हैं।
मन को संयमित करने के लिए ध्यान जरूरी है। ध्यान के माध्यम से इन बिमारियों पर काबू पाया जा सकता है। वर्तमान में अत्याधुनिक मेडिकल साइंस भी यही बात कह रहा है।
शरीर और मन के बीच की कडी है श्वास
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि शरीर और मन के बीच की कड़ी है श्वास। स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है मन का शांत होना। मन को शांत करने के लिए जरूरी है ध्यान।
मन के शांत होने से सकारात्मक ऊर्जा हमारे भीतर रहेगी। ध्यान करने में समय जरूर लगता है, लेकिन बेहद आसान है। रोजाना दो बार जरूर ध्यान करें।
ध्यान करने से हैं यह फायदा
-शारीरिक को भी शांत मिलती है।
-ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम को शांत करता है।
-मन में तनाव को भी कम करता है ध्यान
-रोग-प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है ध्यान।
-ध्यान करने से हमारी सोच की क्षमता विकसित होती है।