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ऋषिकेश के एम्स में रोबोटिक सर्जरी से हुआ मलाशय कैंसर का उपचार

Robotic Surgery in AIIMS,Rishikesh

 

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) :  ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान All India Institute of Medical Sciences,Rishikesh में एक महिला के मलाशय के कैंसर की सफलतापूर्वक रोबोटिक सर्जरी की गयी है 

मलाशय कैंसर की समस्या से जूझ रही एक महिला के इलाज में एम्स के डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी Robotic Surgery का इस्तेमाल कर न केवल उसे जल्दी ठीक कर दिया बल्कि बहुत कम समय में उसे अस्पताल से भी छुट्टी दे दी।

जोखिमभरी यह सर्जरी सरकारी खर्चे पर आयुष्मान भारत योजना के तहत की गई है।

पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली 22 वर्षीया महिला मलाशय कैंसर की बीमारी से जूझ रही थी।

पेट फूलने, पेट में दर्द रहने, कब्ज और मल त्याग में खून आने की समस्या से परेशान इस महिला के इलाज में एम्स के चिकित्सकों द्वारा उपचार की उच्च तकनीक रोबोटिक सर्जरी की मदद ली गई।

लगभग 3 घंटे तक चली सर्जरी के दौरान अनुभवी शल्य चिकित्सकों की टीम ने महिला के पेट के भीतर स्थित मलाशय में फैल चुके कैंसर ग्रस्त आंत के भाग को बड़ी ही सावधानी से हटा दिया, ताकि कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित न कर सके

चिकित्सीय भाषा में इसे एब्डोमिनो पेरिनिनयल रिसेक्शन कहते हैं। हालांकि इससे पूर्व मरीज की बायोप्सी Biopsy कर ली गई थी, जिसमें मरीज के मलाशय में एडेनोकार्सिनोमा रेक्टम का पता चला था।

इस बारे में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग Surgical Oncology Department के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि पौड़ी गढ़वाल निवासी इस महिला को यह समस्या फरवरी- 2023 से बनी थी।

अप्रैल 2023 में जब वह पहली बार एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग Surgical Oncology Department की ओपीडी में आई तो आवश्यक जांच रिपोर्टों के आधार पर पता चला कि उसे मलाशय कैंसर है और वह फैल रहा है।

आंतों के अन्दर का मामला देखते हुए पहले नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के माध्यम से रोगी का उपचार शुरू किया गया,

लेकिन लाभ न मिलने पर त्वरित इलाज के लिए रोबोटिक एब्डोमिनो-पेरिनियल रिसेक्शन की योजना अमल में लाई गई।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस सर्जरी में रक्तस्राव नहीं होता है

और दर्द व परेशानी बहुत कम होने से मरीज को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं पड़ती है।

रोबोटिक सर्जरी Robotic Surgery द्वारा कैंसर ग्रस्त गुदा, मलाशय और सिग्मॉइड बृहदान्त्र के हिस्से को हटा दिया जाता है।

चूंकि आंत का सिरा पेट की सतह में एक छेद से जुड़ा होता है इसलिए इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पेट के भीतर सभी अपशिष्ट को शरीर से बाहर एक डिस्पोजेबल बैग में एकत्र किया गया।

उन्होंने बताया कि मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ. ) मीनू सिंह ने रोबोटिक अब्डोमिनो-पेरिनिअल रिसेक्शन की सफलता पर सर्जरी करने वाले डॉक्टरों की टीम की प्रशंसा की

और कहा कि एम्स में उपलब्ध इलाज की नवीनतम मेडिकल तकनीकों और अनुभवी डॉक्टरों की श्रेष्ठता ने एक बार फिर मरीजों के स्वास्थ्य देखभाल में उत्कृष्टता का परिचय दिया है।

चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने कहा कि एम्स में कैंसर रोगियों के उपचार के लिए विशेष शल्यक्रियाओं और उन्नत ओन्कोलॉजिकल देखभाल की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं।

सर्जिकल ओन्कोलॉजी विभाग इसमें विशेष भूमिका निभा रहा है।

सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. अमित गुप्ता के अलावा डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. मरेश्वरी, डॉ. अजित, डॉ. निर्भय और डॉ. विवेक सहित एनेस्थेसिया विभाग से डॉ. भावना गुप्ता, डॉ. धात्री और डॉ. दर्शन, परिचर्या कर्मचारी मुकेश, साक्षी,सौम्या शामिल थे।

सप्ताह में 3 दिन होती है ओपीडी

डॉक्टर अमित गुप्ता ने बताया कि एम्स अस्पताल में कैंसर से पीड़ित लोग सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की ओपीडी में मंगलवार, शुक्रवार और शनिवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक रोगी को ला सकते है।

उन्होंने बताया कि विभाग में सभी प्रकार के कैंसर के इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

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