डोईवाला में “पुतला दहन” पर तीखे तेवर,”एक देश-एक कानून” के तहत किसान मोर्चा ने की कार्रवाई की मांग
Samyukta Kisan Morcha's sharp stance on effigy burning in Doiwala, demand for action under "one country-one law"

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तराखंड में किसानों पर लगाए गए कथित झूठे मुकदमों के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
सोमवार को डोईवाला की गन्ना समिति सभागार में आयोजित बैठक में, मोर्चे ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया।
जिसके तहत कोतवाली प्रभारी डोईवाला के माध्यम से सूबे के राज्यपाल को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया है
बैठक की अध्यक्षता मोर्चे के संयोजक ताजेंद्र सिंह ने की, जबकि संचालन किसान नेता उमेद बोरा ने किया।
ताजेंद्र सिंह ने भाजपा शासन पर किसानों के दमन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आंदोलनरत किसानों पर राज्य सरकार और प्रशासन द्वारा कई धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
उन्होंने इस बात पर भी ध्यान खींचा कि जब किसान विरोध स्वरूप मुख्यमंत्री का पुतला दहन करते हैं तो उन पर कार्रवाई होती है, लेकिन जब भाजपा कार्यकर्ता विपक्षी नेताओं के पुतले फूंकते हैं तो प्रशासन आंखें मूंद लेता है।
अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष दलजीत सिंह ने भाजपा सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को झूठे वादे करके वोट हासिल करती है, लेकिन उनके कथन और कर्म में बड़ा अंतर होता है।
किसान नेता गौरव चौधरी और सुरेंद्र खालसा ने राज्यपाल से किसानों पर लगाए गए झूठे मुकदमों पर संज्ञान लेने और उन्हें वापस लेने की मांग की।
उन्होंने “एक देश एक कानून” की बात करते हुए कहा कि अगर किसानों पर मुकदमे किए जा सकते हैं, तो विपक्षी नेताओं के पुतले जलाने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं पर भी मुकदमे होने चाहिए।
बैठक को मोहित उनियाल, सरदार गुरदीप सिंह , बलवीर सिंह, याकूब अली, इंद्रजीत सिंह, हरबंस सिंह,चतर सिंह बोरा, करनैल सिंह,बिशप थॉमस आदि ने भी संबोधित किया।
ज्ञापन देने वालों में संयुक्त किसान मोर्चा संयोजक ताजेंद्र सिंह, किसान सभा जिला अध्यक्ष दलजीत सिंह, किसान यूनियन जिला अध्यक्ष सुरेंद्र खालसा, गौरव चौधरी, उमेद बोरा, याकूब अली, बलवीर सिंह, मोहित उनियाल, गुरदीप सिंह, इंद्रजीत सिंह, हरबंस सिंह, बिन्दा भाई, प्रेम सिंह, कमल अरोड़ा, अजीत सिंह प्रिंस, सरजीत सिंह, बिशप थॉमस, करनैल सिंह, गुरचरण सिंह, जगजीत सिंह, गोविंद बिष्ट, रमेश चंद, जगतार सिंह आदि सहित काफी संख्या में किसान उपस्थित थे।