दिल दहलाने वाला हादसा : “सीने में आर-पार हुआ 5 सूत का सरिया”,12 घंटे चली मौत से जंग

Heart-wrenching accident : Iron rod cross through the chest
While ripping the chest of a young man who was a victim of a road accident, 5 yarn bars went across the body.
The badly injured youth was first referred to the local CHC center of Kumaon and then to Haldwani Medical College.But seeing the extremely critical condition of the injured, he had to be referred to AIIMS Rishikesh.While referring from one hospital to another, it took 12 hours for the injured to reach AIIMS.
In view of the emergency, the team of surgeons from the trauma department of AIIMS started the surgery of the injured in the middle of the night and after 4 hours of tireless work, they succeeded in giving new life to the injured youth.
Dehradun : सड़क हादसे का शिकार हुए एक युवक के सीने को चीरते हुए 5 सूत की सरिया शरीर के आर-पार हो गई।
बुरी तरह घायल युवक को पहले कुमाऊं के स्थानीय सीएचसी केंद्र और फिर हल्द्वानी मेडिकल काॅलेज रेफर किया गया।
लेकिन घायल की बेहद क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए उसे एम्स ऋषिकेश रेफर करना पड़ा।
एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक रेफर करते हुए घायल को एम्स पहुंचने में पूरे 12 घंटे लग गए।
आपात स्थिति को देखते हुए एम्स के ट्राॅमा विभाग के शल्य चिकित्सकों की टीम ने मध्य रात्रि में ही घायल की सर्जरी शुरू की और 4 घंटे की अथक मेहनत के बाद घायल युवक को नया जीवन देने में कामयाबी हासिल की। युवक अब खतरे से बाहर है और एम्स के ट्राॅमा वार्ड में उपचाराधीन है।
वेब मीडिया के विश्वसनीय नाम
यूके तेज से जुड़ने के लिये
वाट्सएप्प करें 8077062107
रजनीश प्रताप सिंह तेज
कब और कहां हुआ हादसा
घटना कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर सुयालबाड़ी से कुछ आगे की है।
कुछ दिन पहले यहां दिल दहला देने वाले एक सड़क हादसे में शिक्षिकाओं को लेकर जा रही एक कार और पिकप वाहन की भिडंत हो गई।
भिड़ंत के बाद पिकप वाहन सड़क से कई फिट नीचे निर्माणाधीन पुलिया पर जा गिरा।
इस पुलिया पर 5 सूत का सरिया ऊपर की ओर उठा हुआ था।
मुख्य सड़क से पिकप वाहन जब नीचे पुलिया पर गिरा तो इस दौरान सरिया पिकप में बैठे 18 वर्षीय मोहित की छाती को चीरता हुआ आर-पार हो गया।
तकरीबन 1 घंटे तक घायल युवक का शरीर पुल की सरिया पर ही फंसा रहा।
बाद में पुलिस की मदद से किसी तरह पुल से सरिया को काटा गया और फिर छाती में फंसे सरिया सहित गंभीर रूप से घायल हो चुके मोहित को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुयालबाड़ी ले जाया गया।
स्थानीय सीएचसी में मौजूद चिकित्सकों की टीम ने युवक की नाजुक हालत को देखते हुए उसे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा। जहां से उसे एम्स रेफर कर दिया गया।
एम्स में हुई इस सर्जरी की जानकारी देते हुए सर्जरी टीम के मुख्य सर्जन डाॅ. मधुर उनियाल ने बताया कि यह बेहद नाजुक समय था।
मध्य रात्रि के वक्त मरीज को एम्बुलेंस द्वारा जब एम्स की ट्राॅमा इमरजेंसी में लाया गया तो हमने देखा कि पीठ से अंदर घुसी सरिया घायल युवक के सीने से आगे की ओर निकली है और पेशेंट को तिरछी करवट वाली स्थिति में लिटाकर लाया गया है।
उन्होंने बताया कि हालांकि घटना सुबह 11 बजे के लगभग घटित हो चुकी थी लेकिन घायल को एम्स ऋषिकेश तक पहुंचने में रात के लगभग 12 बज गए थे।
मतलब यह कि उसके शरीर में सरिया को आर-पार हुए 12 घंटे से अधिक का वक्त हो चुका था।
यह बेहद चुनौतीपूर्ण समय था लेकिन चिकित्सकों की टीम के लिए घायल युवक का जीवन बचाना बहुत जरूरी था।
डाॅ. मधुर ने बताया कि ऐसे में हाई रिस्क लेते हुए सर्जरी शुरू करने का निर्णय लिया गया। करीब चार घंटे चले ऑपरेशन के बाद मोहित की दाहिनी छाती खोल कर सीने से सरिया बाहर निकाल दी गई।
डाॅ. उनियाल ने बताया कि टीम वर्क से किए गए कार्य की बदौलत ऑपरेशन सफल रहा और अब मरीज की जिंदगी खतरे से बाहर है। सर्जरी करने वाली टीम में डाॅ. मधुर उनियाल के अलावा डाॅ. नीरज कुमार और डाॅ. अग्निवा का योगदान रहा एवं ऐनेस्थेसिया टीम का नेतृत्व डाॅ. अजय कुमार और डाॅ. मानसा ने किया।
यदि किसी व्यक्ति के शरीर में कभी सरिया या नुकीले लोहे की राॅड अंदर तक घुस जाए तो बिना शल्य चिकित्सकों की मदद के स्वयं के स्तर से सरिया को शरीर से बाहर खींचने की कोशिश न करें। ऐसा करने से अत्यधिक रक्त स्राव हो सकता है और घायल का जीवन बचना मुश्किल हो जाता है।
……… डाॅ. मधुर उनियाल, ट्राॅमा सर्जन, एम्स।
कुमाऊं से एम्स पहुंचने तक मोहित को लगभग 12 घंटे का समय लग गया। ऐसे में 12 घंटे तक घायल युवक को तिरछा लिटाकर रखा गया था। सर्जरी के लिए उसे बेहोश करना आसान नहीं था। सरिया फंसी होने के कारण मरीज को सीधा लिटाकर नहीं रख सकते थे। ऐसे में रिस्क लेते हुए डबल ल्यूमन ट्यूब डालकर उसे बेहोश करना पड़ा।
…….. डाॅ. अजय कुमार, ऐनेस्थीसिया विभाग, एम्स।
इस दुर्घटना के 2 दिन पहले ही मेरे पिता की मृत्यु हुई थी। ऐसे में बेटे मोहित की दुर्घटना की खबर मिलने से हम पूरी तरह टूट गए और मोहित के जीवन को लेकर हौसला हार चुके थे, लेकिन एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने मोहित को नया जीवन देकर हमारी उम्मीदों को रोशनी दी है। अब मेरा बेटा खतरे से बाहर है। एम्स के चिकित्सक हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं।
…….. किशन राम, घायल मोहित के पिता।
एम्स के ट्राॅमा विभाग में कुशल और अनुभवी शल्य चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है। हाल ही में हुई कुमाऊं के युवक की सर्जरी के मामले में डाॅ. मधुर एवं डॉ. अजय कुमार के नेतृत्व में शामिल रहे टीम के सभी चिकित्सकों का कार्य प्रशंसनीय है। प्रत्येक मरीज और घायल का जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है।
… प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश।