
Great invention of Graphic Era, this “wonderful membrane” will give astonishing results.
ग्राफिक एरा ने नई खोजों के क्षेत्र में एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है.
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने एक ऐसी मैम्ब्रेन तैयार की है जो इंसानी शरीर में होने वाले छोटे से छोटे बदलाव से लेकर बहुमंजिली इमारतों तक पर आने वाले खतरों से आगाह कर सकती है.
केंद्र सरकार ने इसका पेटेंट ग्राफिक एरा के नाम दर्ज कर लिया है.
>मानवता के लिये उपयोगी साबित होगा अविष्कार
>चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने की सराहना
>वैज्ञानिक डॉ वारिज पंवार ने की है यह खोज
>केंद्र सरकार से मिला ग्राफ़िक एरा को पेटेंट
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रजनीश प्रताप सिंह
देहरादून :एक के बाद एक नई खोजों और उनके पेटेंट के गौरवशाली कीर्तिमान को आगे बढ़ाते हुए ग्राफिक एरा ने ये कामयाबी दर्ज की है।
ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने इस खोज के लिए वैज्ञानिक डॉ वारिज पंवार को बधाई देते हुए कहा कि यह आविष्कार मानव जाति के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।
इसके जरिये शरीर में होने वाले बदलाव से लेकर इमारतों की मजबूती तक की बहुत आसानी से निगरानी की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि ग्राफिक एरा में लगातार नई खोजों का सिलसिला जारी है और कुछ बहुत महत्वपूर्ण खोजों के पेटेंट कराने की प्रक्रिया चल रही है।
इस आविष्कार से जुड़े वैज्ञानिक डॉ वारिज पंवार ने बताया कि कार्बन नैनो फाइबर और पौली इलेक्ट्रोलाइट को पौलिमर से जोड़कर यह खास मैम्ब्रेन तैयार की गई है।
इंसानी त्वचा जैसी महीन होने के कारण यह मैम्ब्रेन शरीर पर लगाने पर माइक्रो सिग्नल भी बाखूबी पकड़ सकती है।
इससे सांसों में होने वाले उतार चढ़ाव, ब्लड प्रेशर, ह्रदयगति, दर्द, हैल्दी टिश्यू आदि को तुरंत पहचाना जा सकता है। अभी तक इंसानी त्वचा जैसी मैम्ब्रेन तैयार नहीं हो सकी थी, इस कारण विभिन्न डिवाइस इस्तेमाल करने के बाद भी बहुत सूक्ष्म संकेतों को पकड़ना मुश्किल था।
डॉ पंवार ने बताया कि इस मैम्ब्रेन के जरिये पुलों, टावर और बहुमंजिली इमारतों की लीकेज, मजबूती और उनमें होने वाले बदलावों की सूचना तुरंत मिल सकती है।
इसके लिए मैम्ब्रेन को इलेक्ट्रानिक डिवाइस से जोड़कर शरीर और भवनों की स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी। पीएचडी छात्र मयंक चतुर्वेदी के साथ मिलकर यह आविष्कार किया गया है।
केंद्र सरकार ने इसका पेटेंट 20 वर्षों के लिए ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के नाम दर्ज कर लिया है।
डॉ वारिज पंवार इससे पहले गन्ने के रस से मैम्ब्रेन बनाने की तकनीक और आयनिक पोलिमर मैटर नैनो कम्पोजिट मैम्ब्रेन की खोज कर चुके हैं। इनसे दुर्गम स्थानों पर बिजली के बिना वायरलैस, मोबाइल आदि चार्ज किए जा सकते हैं। इनके पेटेंट भी ग्राफिक एरा के नाम दर्ज हो गए हैं।