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देहरादून : कहते हैं वक्त बड़ा बलवान होता है जो कल तक अपने होते हैं वह एक समय ऐसा भी आता है कि पराये हो जाते हैं।
डोईवाला के नागल ज्वालापुर गांव में रहने वाली एक 50 वर्षीय
महिला किरण पत्नी चमन का देहांत कोरोना के कारण हो गया
तो ऐसे में उसके अंतिम संस्कार के लिए कोरोना के भय से कोई भी आगे नहीं आया।
बीती 25 मई को जब डोईवाला पुलिस को इसकी सूचना प्राप्त हुई
कि मृतक किरण के पार्थिव शरीर को गांव वाले हाथ नहीं लगा रहे हैं तो ऐसे में उसका अंतिम संस्कार कैसे होगा ?
सनातन धर्म या हिंदू धर्म में गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार होते हैं।
जिसका आखिरी संस्कार,”अंत्येष्टि संस्कार” होना आवश्यक माना गया है।
ब्रह्मांड और मानव शरीर दोनों में पांच तत्व शामिल हैं,पृथ्वी,जल,वायु,अग्नि और अंतरिक्ष।इसलिए अंत्येष्टि संस्कार शरीर को उसकेपांच घटकों में लौटने में मदद करता है।
आपदा और धर्म संकट की इस घडी में डोईवाला पुलिस बनी संकट मोचक और पुलिस ने इस महिला के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करने का फर्ज निभाया।
डोईवाला पुलिस से कॉन्स्टेबल दिनेश दिलवाल और कॉन्स्टेबल अंगेश्वर ने महिला के शमशान कर्म को निभाया।
गौरतलब है उत्तराखंड पुलिस “मिशन हौंसला” के तहत कोरोना महामारी के दौरान जनसेवा में जुटी हुई है।
इसी के तहत पुलिस ने पीपीई किट पहनकर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को देखते हुए
तय की गई एसओपी के अनुसार किरण के परिजनों ,ग्राम प्रधान पति शेखर ज्याला के साथ मिलकर सुसवा नदी श्मशान घाट नगर ज्वालापुर में इस महिला का अंतिम संस्कार किया।