धामी सरकार का भ्रष्टाचार पर सबसे बड़ा प्रहार, 2 IAS, 1 PCS सहित 10 अधिकारी निलंबित, 2 का सेवा विस्तार समाप्त
Dhami government's biggest attack on corruption, 10 officers including 2 IAS, 1 PCS suspended, service extension of 2 terminated

• उत्तराखंड में ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ धामी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: दो IAS, एक PCS सहित 10 अधिकारियों पर गिरी गाज!
• हरिद्वार में 15 करोड़ की जमीन 54 करोड़ में खरीदी! नगर निगम के बड़े घोटाले में DM, पूर्व नगर आयुक्त पर FIR की तैयारी?
• धामी का डंडा चला: हरिद्वार जमीन खरीद घोटाले की विजिलेंस जांच शुरू, भू-स्वामियों से होगी धन रिकवरी
• लैंड यूज बदलकर खेला गया ‘खेल’: सराय ग्राम की अनुपयुक्त भूमि की खरीद में करोड़ों की अनियमितता, पुलिस की रडार पर कई और नाम
• IAS-PCS के निलंबन से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश
• ‘पद नहीं, कर्तव्य महत्वपूर्ण’: मुख्यमंत्री धामी का स्पष्ट संदेश, उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त कार्य संस्कृति का आह्वान
• घोटाले की पूरी श्रृंखला का होगा खुलासा: विजिलेंस की जांच से जुड़ेगी कड़ियां, बड़े नामों का भी पर्दाफाश संभव
देहरादून,3 जून 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ धामी सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है.
हरिद्वार नगर निगम में हुए बहुचर्चित जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कड़े निर्देशों पर दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित कुल दस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है.
इसके अलावा, दो कर्मचारियों का सेवा विस्तार भी समाप्त कर दिया गया है
मुख्यमंत्री ने इस मामले की विजिलेंस जांच के भी आदेश दिए हैं
भ्रष्टाचार पर धामी सरकार का ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को स्पष्ट करते हुए हरिद्वार नगर निगम में हुए जमीन घोटाले को गंभीरता से लिया.
इस मामले में पहले ही तीन अधिकारी निलंबित हो चुके थे और दो की सेवा समाप्त की जा चुकी थी.
अब सात और अधिकारियों पर निलंबन की गाज गिरी है, जिससे निलंबित होने वाले अधिकारियों की कुल संख्या 10 हो गई है.
क्या है मामला ?
हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित 2.3070 हेक्टेयर अनुपयुक्त भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदने को लेकर सवाल उठे थे.
इस खरीद पर अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने तुरंत इसकी जांच के आदेश दिए थे.
सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच कर 29 मई को शासन को रिपोर्ट सौंपी थी.
इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसके बाद मंगलवार को निलंबन के आदेश जारी कर दिए गए.
इन अधिकारियों पर गिरी गाज:
मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने जिन अधिकारियों को निलंबित किया है,
उनमें हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और मौजूदा जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह (IAS),तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी (IAS),हरिद्वार के तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह (PCS),वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट,वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की,रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार और हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास शामिल हैं.
अब तक हुई पूरी कार्रवाई:
निलंबित अधिकारी:
कर्मेंद्र सिंह – जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक, नगर निगम हरिद्वार (IAS)
वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (IAS)
अजयवीर सिंह – तत्कालीन उपजिलाधिकारी, हरिद्वार (PCS)
निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार
विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार
कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार
आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता (पूर्व में निलंबित)
लक्ष्मी कांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक (पूर्व में निलंबित)
दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता (पूर्व में निलंबित)
सेवा समाप्त/सेवा विस्तार समाप्त:
रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)
वेदपाल – संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)
मुख्यमंत्री धामी का सख्त संदेश:
इस कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में ‘पद’ नहीं बल्कि ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं.
चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है.
हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नई कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं.
सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।”
विजिलेंस जांच और रिकवरी के निर्देश:
मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग (विजिलेंस डिपार्टमेंट) से कराए जाने के निर्देश दिए हैं, ताकि दोषियों की पूरी श्रृंखला का खुलासा हो सके और पारदर्शिता बनी रहे.
इसके अतिरिक्त, उक्त भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र (सेल डीड) को निरस्त करते हुए भूस्वामियों को दिए गए धन की रिकवरी सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं.
मुख्यमंत्री ने तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराए जाने के निर्देश दिए हैं ताकि वित्तीय अनियमितताओं की समुचित जांच की जा सके
यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि धामी सरकार उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी