मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड भंग करने की, की घोषणा

कल पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को देवस्थानम बोर्ड को लेकर उच्च स्तरीय रिपोर्ट सौंपी थी और आज पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर बड़ा ऐलान किया है.
उन्होंने लंबे समय से चल रहे तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों के विरोध के चलते देवस्थानम बोर्ड भंग करने की घोषणा की है.
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PRIYANKA PRATAP SINGH
देहरादून: देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के लिए सबसे पहले इसको कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा उसके बाद विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा जहां पर देवस्थानम बोर्ड भंग होगा।
कई बार विरोध का करना पड़ा सामना
देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों और हकहकूक धारियों ने इसका कड़ा विरोध जताया था
कि त्रिवेंद्र सरकार ने उनका हक छीन लिया है
इसी के चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत को बीते दिनों केदारनाथ पहुंचने पर तीर्थ पुरोहितों द्वारा बाबा के दर्शन न करवा कर इसका कड़ा विरोध जताया था।
राज्य के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का तीर्थ पुरोहितों ने काफी देर तक घेराव किया था.
कब बना देवस्थानम बोर्ड एक्ट
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने बनाया था
27 नवम्बर 2019 को उत्तराखंड चार धाम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी मिली
5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम बोर्ड का विधेयक पास हुआ था।
क्या था देवस्थानम बोर्ड
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चारधाम समेत 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था ।
सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है।
सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा।
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में कब से चल रहा आंदोलन
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है।
पुरोहित क्यों कर रहे थे विरोध?
अब तक मंदिरों के पुरोहित ही सारा प्रबंधन देखते थे।
मंदिरों का चढ़ावा से लेकर दान सब उन्हें मिलता था।
अब यह बोर्ड के हाथों में था।
तीर्थ पुरोहितों का कहना था कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उनके हकों को समाप्त करना चाहती है।