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(विश्व स्तनपान सप्ताह) स्तनपान से 19 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर व कुपोषण को किया जा सकता है कम

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देहरादून : हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर शिशुओं को स्तनपान के प्रति जागरूक किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम में स्तनपान से मां व नवजात को होने वाले लाभ के विषय में जानकारी दी गयी।

सोमवार को नियोनेटोलॉजी विभाग ने अस्पताल के पोस्ट नेटल वार्ड में नवजात शिशुओं की माताओं को स्तनपान के विषय में जानकारी दी।

डॉ. सूरज ने कहा कि पहला स्तनपान मां और नवजात दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे का पहला टीकाकरण है, इससे बच्चे को आवश्यक खनिज व रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।

कहा कि स्तनापान सप्ताह मनाने का उद्देश्य मातृशक्ति को इसके प्रति जागरूक करना है। स्तनपान से 19 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर व कुपोषण को कम किया जा सकता है।

मां के पहला दूध विटामिन युक्त होता है। यह शिशुओं की आंतों की सफाई व शिशु को पीलिया से बचाने में सहायता करता है।

डॉ. सनोबर ने बताया कि जागरुकता के अभाव में लोगों में यह भ्रांति हैं कि पहला दूध घातक हो सकता है। इसको दूर करने के लिए यह साप्ताहिक अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जन्म के करीब आधे घंटे बाद मां अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है। वहीं सिजेरियन से हुए शिशु की मां करीब चार घंटे बाद या एनिस्थिसिया के प्रभाव से बाहर आने के बाद स्तनपान करा सकती है।

ऐसा करने से शिशु और मां दोनों ही स्वस्थ रहते है। साथ ही शिशु का बौद्धिक विकास तेजी से होता है और जीवन में कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप का खतरा कम होता है।

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