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“जॉलीग्रांट एयरपोर्ट” का नाम और “8 खंभों” को देखकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेशवरानंद ने दी “तीखी प्रतिक्रिया”

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेशवरानंद ने देहरादून विमानतल पर इसके नाम परिवर्तन का सुझाव दिया है.
उनके द्वारा विमानतल के प्रवेश पर बने खंभों को लेकर भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है.
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रजनीश प्रताप सिंह तेज

देहरादून :

देवभूमि है उत्तराखंड

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आज जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह उत्तराखंड देव भूमि है यहां बद्रीनाथ ,केदारनाथ, गंगा जी और यमुना जी हैं.

चारधाम कहकर इसका खूब प्रचार किया जाता है लाखों लोगों को यहां आमंत्रित किया जाता है उत्तराखंड को इससे कई हजार करोड़ रुपए की आमदनी भी होती है.

एयरपोर्ट प्रवेश के 8 खंभों पर लिखे हैं बौद्ध मंत्र

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि यहां उत्तराखंड में कोई बड़ा बौद्ध डेस्टिनेशन नहीं है लेकिन जब हम उत्तराखंड एयरपोर्ट पर आते हैं तो यहां देहरादून हवाई अड्डे के प्रवेश पर 8 बड़े खंभे हैं जिन सभी पर बौद्ध मंत्र “ॐ मणि पद्में हूँ” लिखा गया है.

खंभो पर “जय बद्री-जय केदार” क्यूं नही ?

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि इन खंभों पर क्या जय बद्री विशाल ,जय केदार ,जय गंगे, जय जमुना ,जय उत्तराखंड, जय भगवान शंकराचार्य नहीं हो सकता था ?

सभी आठों खंभों पर बौद्ध मंत्र लिखवा दिया गया है उनका कहना था कि यदि एक खंभे में बौद्ध मंत्र भी रहता तो हमें कोई आपत्ति नहीं थी.

क्योंकि बौद्ध भी हमारे साथ हैं हम उनसे कोई परहेज नहीं रखते हैं हम उनका सम्मान करते हैं लेकिन सभी आठ के आठ खंभों में उनके मंत्र लिख दिए गए हैं इसका हमें दुख होता है.

देहरादून एयरपोर्ट का नाम बदला जाये

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि देहरादून एयरपोर्ट का नाम आदि शंकराचार्य जी के नाम से रखा जाए क्योंकि आदि शंकराचार्य जी ने अपना शरीर स्थाई रूप से यहीं पर रखा है.

उन्होंने संपूर्ण भारत का भ्रमण किया और अंत में अपने शरीर का अवशेष उत्तराखंड में ही छोड़कर गए हैं उत्तराखंड में उनका शरीर आज भी किसी ना किसी रूप में विद्यमान है.

उनके द्वारा उद्धार किए गए बद्रीनाथ ,केदारनाथ धाम आज भी विद्यमान है आज भी शंकराचार्य जी के द्वारा स्थापित ज्योतिर्मठ यहां पर है.

भगवान शंकराचार्य जी का बहुत बड़ा योगदान इस प्रदेश के लिए है क्योंकि एयरपोर्ट प्रवेश द्वार होता है यहीं से लोग उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं इसलिए इसका नाम आदि शंकराचार्य एयरपोर्ट रखा जाना चाहिए.

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