“भारतीय साहित्य और परंपराओं में सामाजिक सहिष्णुता” पर हुआ डोईवाला डिग्री कॉलेज में नेशनल सेमीनार

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देहरादून : डोईवाला स्थित शहीद दुर्गामल्ल डिग्री कॉलेज में “भारतीय साहित्य और परंपराओं में सामाजिक सहिष्णुता” पर दो दिवसीय नेशनल सेमीनार का आयोजन किया गया।
इंडियन कॉउन्सिल ऑफ़ सोशल साइंस एंड रिसर्च (ICSSR) द्वारा प्रायोजित इस सेमीनार में वक्ताओं ने कला,साहित्य आदि के क्षेत्र में सहिष्णुता पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किये।
वक्ताओं के द्वारा व्यापक तौर पर कहा गया कि सहिष्णुता हर युग में रही है।
हमारा समाज उस नदी की तरह है जिसके एक किनारे पर सहिष्णुता और दूसरे पर असहिष्णुता है।
“सुलह-ए-कुल” बानगी भर है भारत की सहिष्णुता की :–
की नोट स्पीकर डॉ. सिराज मोहम्मद ने अकबर की सुलह-ए-कुल यानि सर्वधर्म मैत्री की निति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभी धर्मों में सच्चाई है।
भारत में 62 नए धर्मों का उदय हुआ। हिंदू धर्म ने अनेक संस्कृतियों और धर्मों को स्वीकार किया।
उत्तराखंड के कुमाऊं में लोगों ने सभी को स्वीकार किया।
जो लोग मोहम्मद तुगलक के समय रोहिलखंड से भाग कर उत्तराखंड आये वो कुमाऊं में आ बसे थे।
चित्रकला और वास्तुकला में होते हैं सहिष्णुता के दर्शन :—
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के डॉ. देवेंद्र गुप्ता ने “भारतीय कला में शिव” पर व्याख्यान दिया।भारत की स्मृति में भगवान शिव,सर्वव्यापी देवता है,जिनकी उपासना विश्व के सभी प्राणी करते हैं ।
अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि कला कुछ अभिव्यक्त करती है।
चित्रकला,वास्तुकला आदि जो मंदिरों के प्रांगण और दीवारों पर उकेरी और गढ़ी गई है, उनका सूक्ष्म अध्ययन करना आवश्यक है,ताकि कला की अमृत शक्ति को महसूस किया जा सके।
उन्होने बृहदेश्वर मंदिर, एरावतेश्वर मंदिर, एलोरा गुफाओं की वास्तुकला को पीपीटी के माध्यम से दिखाया।
शिव पार्वती की कथा किस तरह से उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक लोकमानस में व्याप्त है यह इन क्षेत्रों की वास्तु कलाओं में दिखती है।
प्रेमचंद के साहित्य में रची-बसी है सहिष्णुता :—
डॉक्टर ममता ध्यानी ने अपने शोध पत्र में बताया कि प्रेमचन्द् ने अपने साहित्य में अंतिम पंक्ति के लोगों की बात की है
और उन्ही के माध्यम से सामाजिक सौहार्द को दिखाया है ,चाहे वह गोदान,काहोरी,धनिया हो या ईदगाह का हामिद।
डा० प्रमोद भारतीय ने कहा कि संस्कृत के महाकाव्य सहिष्णुता की पराकाष्ठा को दिखाते हैं।
युधिष्ठर,कर्ण,बुद्ध से लेकर महात्मा गांधी में सहिष्णुता परिलक्षित होती है।जिससे सभ्यताएं प्रभावित हुई हैं।
इसी सत्र में डा० स्मृति कुकशाल ने अपना शोधपत्र Role of Plants in Indian Tradition and Culture.पढ़ा।
कु०जसप्रीत कौर ने अपना शोध पत्र Study of Geographical conditions upon social Tolerance. पढ़ा।
एसजीआरआर की देवजनि सरकार ने ऑनलाइन माध्यम से अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
आज ये रहे उपस्थित :—
डा० डी० एन० तिवारी,डा० डी०पी० सिंह,डा० संतोष वर्मा,डा० आर० एस० रावत,डा० कंचन सिंह,डा०राखी पंचोला, डा० पूनम पाण्डे,डा० पल्लवी मिश्रा,डा० अफरोज इकवाल,डा० एन०डी० शुक्ला,
डा० दीपा शर्मा,डा० नीलू कुमारी,डा० बल्लरी कुकरेती,डा०नूर हसन,डा० स्मृति कुकशाल, डा० रेखा नौटियाल,डा० प्रतिभा बलूनी,डा० ममता ध्यानी ,
डा० प्रदीप,डा० प्रमोद कुमार,डा० कुसुम डोबरियाल,डा० अरविन्द सिंह रावत, डा० इमरान खान,डा० शटीश उनियाल,डा० राजेस्वरी,डा० अनिल,डा० रूचि कुलश्रेष्ठ,डा० ऊषारानी नेगी उपस्थित थे।