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आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ‘बजट’ महत्वपूर्ण कदम : डॉ. विजय धस्माना,पूर्व अध्यक्ष CII

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देहरादून : कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री,उत्तराखंड के पूर्व अध्यक्ष और स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी (SRHU) के कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने केंद्र सरकार के द्वारा प्रस्तुत किये गये बजट को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुये अपने विचार मीडिया में साझा किये हैं।

आज का बजट भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। देश को आत्मनिर्भर बनाने हेतु 06 मुख्य पहलुओं को मध्यनजर रखते हुए यह बजट प्रस्तुत किया गया है।

इसमें (1) स्वस्थ भारत, (2) भौतिक, वित्तीय एवं आधिकारिक संरचना (3) समावेशी विकास (4) मानव संसाधन का पुनर्जीवन (5) नवाचार व अनुसंधान एवं विकास तथा (6) कम से कम सरकारी हस्तक्षेप पर ध्यान दिया गया है।

कहते हैं ’पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में हो माया।’ यदि शरीर रोगी है तो आप धन कैसे कमाएंगे। कोविड संकट के बाद यह साफ है कि सरकार भी यह समझ चुकी है कि देश के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है आम-आदमी का स्वस्थ होना।

कोरोना संकट के इस दौर में पेश किया गया यह बजट स्वास्थ्य क्षेत्र पर फोकस रहा। सरकार ने इस बजट में आम-आदमी की सेहत का खास ख्याल रखा है।

94 हजार करोड़ से 2.23 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है। स्वास्थ्य बजट में यह करीब 137 फीसदी का इजाफा होगा। कोरोना संकट जैसी महामारी से निपटने में यह बजट मददगार साबित होगा।

64 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के लिए किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत आने वाले 6 सालों में 17,788 ग्रामीण व 11,024 शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण, 11 राज्यों में पब्लिक हैल्थ लैब की स्थापना, 602 क्रिटिकल केयर हाॅस्पिटल स्थापित करना, 12 केन्द्रीय संस्थानों की स्थापना किये जाने हेतु प्रावधान किया गया है।

इससे देश की दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाली ग्रामीण जनसंख्या को सुविधा मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों में अच्छी सुविधाऐं न होने के कारण बड़े व सुपर-स्पेशलिस्ट अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है।

छोटी-छोटी बीमारियों के लिए रोगियों को बड़े व सुपर-स्पेशलिस्ट अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है। ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण से निश्चित तौर पर शहर के बड़े व सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालांे पर दबाव कम हो जायेगा व जनता को भी सुविधा मिलेगी।

स्वस्थ भारत के लिए यह आवश्यक है कि हमारा खान-पान ठीक हो। तथा जो खान-पान हम लेते है उसमें पोषक तत्व ठीक हो। कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण अभियान को सृदृढ़ करने के लिए 112 जिलों का चयन किया गया है।

भारत को स्वस्थ बनाने के लिए यह भी आवश्यक है कि हर नागरिक को साफ पीने का पानी, स्वच्छ वातावरण व सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिले उपलब्ध हो। जल जीवन मिशन के अन्तर्गत 286 करोड़ परिवारों को पानी का कलेक्शन देने का प्रावधान किया गया है जिसके लिए 2 लाख 87 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो कि अत्यन्त सराहनीय कदम है।

प्रदूषण का सीधा असर जनता के स्वास्थ्य पर पड़ता है। भारत को स्वस्थ रखने के लिए यह आवश्यक है कि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने व पर्यावरण को बचाने हेतु आवश्यक उपाय किये जाए। बजट में इस क्षेत्र के लिए 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे निश्चित तौर पर प्रदूषण को नियंत्रण करने में सहायता मिलेगी। वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए बजट में 2217 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया गया है।

कोविड संकट ने आम जन की आमदनी पर बहुत बुरा असर डाला है। लाखों लोगों का रोजगार छिन गया। कोविड वैक्सीन ने आम-आदमी को मानसिक तौर पर कोरोना संकट से जूझने में हिम्मत दी है। कोरोना वैक्सीन के लिए सरकार की 35 हजार करोड़ का बजट आर्थिक संकट से जूझ रही आम जनता को राहत देगी।

मानव संसाधन को सुदृढ़ करने हेतु प्रावधान

देश में मानव संसाधन को सुदृढ़ करने के लिए प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा व शोध को बढ़ावा देने के लिए बजट में समुचित प्रावधान किये गये है। प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 15000 स्कूलों का सुदृढ़ीकरण किये जाने हेतु प्रावधान सराहनीय है।

अभी तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सिर्फ विश्वविद्यालयों के लिए मानकों का निर्धारण एवं विश्वविद्यालय को वित्तीय सहायता प्रदान करने तक सीमित है। शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता की सुनिश्चिता, मान्यता, विनियमन व वित्तीय सहायता प्रदान हेतु राष्ट्रीय शिक्षा आयोग गठित किये जाने का निर्णय देश के मानव संसाधन को सुदृढ़ करने हेतु एक स्वागत योग्य पहल है।

शोध को बढ़ावा देने के लिए शोध प्रतिष्ठान की स्थापना, 56 समवर्गीय हेल्थकेयर कोर्सेस की पारदर्शिता और क्षमता को व्यवस्थित करने के लिए नेशनल एलाईड हैल्थ केयर प्रोफेशनल कमिशन तथा नेशनल नर्सिंग व मिडवाइफरी कमिशन के गठन से निश्चित तौर राष्ट्र को योग्य व कुशल प्रोफेशनल मिल पायेगें।

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