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ऋषिकेश एम्स में सर्जरी से पैर से हटाया 35 किलो का बोन ट्यूमर,रचा इतिहास

35 kg bone tumor removed through surgery at Rishikesh AIIMS, created history

देहरादून,25 जून 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों की एक टीम ने 27 वर्षीय एक मरीज के पैर से 35 किलो का ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाल दिया है.

यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी ट्यूमर सर्जरी में से एक बताई जा रही है.

असाध्य बीमारी पर डॉक्टरों की बड़ी जीत

उत्तर प्रदेश के संभल जिले के 27 वर्षीय सलमान पिछले छह साल से इस विशाल ट्यूमर से जूझ रहे थे.

यह ट्यूमर उनके बाएं पैर में था और धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था, जिससे उन्हें उठने-बैठने और दैनिक क्रियाएं करने में भी परेशानी हो रही थी.

सलमान ने पहले मुरादाबाद और दिल्ली के कई अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन कहीं भी उन्हें राहत नहीं मिली.

एम्स ऋषिकेश पहुंचने पर, ऑर्थोपेडिक्स विभाग के डॉक्टरों ने उनकी जांच की.

विभिन्न परीक्षणों के बाद, डॉक्टरों ने सर्जरी द्वारा ट्यूमर को हटाने का फैसला किया.

पिछले हफ्ते 9 जून को यह जटिल सर्जरी की गई, जिसके बाद सलमान अब स्वस्थ हो रहे हैं और जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.

एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री ने डॉक्टरों की टीम को इस असाधारण उपलब्धि के लिए बधाई दी.

प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि यह एम्स ऋषिकेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और यह दर्शाता है कि संस्थान असाध्य रोगों का इलाज करने में भी सक्षम है.

41 किलो के पैर में 35 किलो का ट्यूमर

एम्स के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के सर्जन डॉ. मोहित धींगरा ने बताया कि ट्यूमर का आकार और वजन अप्रत्याशित रूप से बड़ा होने के कारण इसे हटाना बेहद मुश्किल था.

ट्यूमर कैंसर में बदल गया था और इसके आकार में वृद्धि के कारण उस स्थान पर रक्त संचार और रक्त वाहिकाओं में भी बदलाव आ गया था.

ऐसे में सर्जरी के दौरान थोड़ी सी भी लापरवाही मरीज की जान ले सकती थी.

इन चुनौतियों से निपटने के लिए ऑर्थोपेडिक्स के अलावा सीटीवीएस (कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी) विभाग और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के सर्जनों को भी टीम में शामिल किया गया था.

उन्होंने बताया कि निकाले गए बोन ट्यूमर का आकार 53x24x19 इंच और वजन 34.7 किलोग्राम था.

ऑर्थो विभाग के प्रमुख प्रो. पंकज कंडवाल ने बताया कि सर्जरी से पहले मरीज के बाएं पैर का कुल वजन ट्यूमर सहित 41 किलो था.

ट्यूमर निकालने के बाद पैर का वजन सिर्फ 6.3 किलोग्राम रह गया

इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाली टीम में अस्थि रोग विभाग के सर्जन डॉ. मोहित धींगरा, सीटीवीएस विभाग के प्रमुख और प्रमुख सर्जन डॉ. अंशुमान दरबारी, प्लास्टिक सर्जरी विभाग की डॉ. मधुबरी वाथुल्या मुख्य रूप से शामिल थीं. इसके अलावा एनेस्थीसिया के डॉ. प्रवीण तलवार, रेडियोलॉजी के डॉ. उदित चौहान, डॉ. अविनाश प्रकाश और डॉ. विशाल रेड्डी, डॉ. राहुल, डॉ. धवल और डॉ. प्रशांत सहित अन्य टीम सदस्यों ने भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया.

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